महाशिवरात्रि क्यों मनाई जाती है : भारत में प्रतिवर्ष हिन्दुओं के द्वारा महा शिवरात्रि का पर्व मनाया जाता है, सभी को यह तो पता होगा की महा शिवरात्रि में शिव पार्वती की पूजा की जाती है लेकिन महाशिवरात्रि क्यों मनाई जाती है महाशिवरात्रि का महत्व क्या है / importance of mahashivratri in Hindi या इससे जुडी जानकारी भी आपको यहाँ पर बताई जाने वाली है।प्रत्येक महीने में एक शिवरात्रि आती है जिस कारण प्रतिवर्ष कुल मिलकर 12 शिवरात्रि आती है लेकिन फाल्गुन माह की कृष्ण चतुर्दशी को मनाये जाने वाली शिवरात्रि का महत्त्व अधिक है जिस कारण इसे महाशिव रात्रि में रूप में मनाया जाता है। इस दिन पर मदिरों में भरी भीड़ देखने को मिलती है।
महाशिवरात्रि क्यों मनाई जाती है
महा शिव रात्रि को मनाये जाने के पीछे विद्वानों के अलग अलग मत है कुछ मत के अनुसार महा शिवरात्रि को शिव और पार्वती के विवाह हुआ था और इसी दिन पहले शिवलिंग की उत्पति हुई थी जिस कारण इस दिन पर शिवलिंग की पूजा अर्चना की जाती है। इस कथा का वर्णन रामचरितमानस और महाभारत में भी मिलता है।
एक अन्य मत के अनुसार जब देवों और असुरों के बिच समुद्रमंथन हुआ था तो इसके दौरान समुद्र से निकलने वाले कालकूट विष से सम्पूर्ण विश्व में हलचल मच गयी और इससे सम्पूर्ण संसार नष्ट होने की करार पर पहुँच गया था क्योंकि जिस हवा को मनुष्य साँस लेने के लिए उपयोग करता था वह विषैली हो गयी थी।
इस परेशानी से विश्व को बचाने के लिए भगवान शिव ने सारा विष स्वयं पिया लेकिन उन्होंने उस विष को अपने कंठ में रखा और इसी वजह से भगवान शिव का रंग नीला पड़ गया, और यही कारण है जिससे भगवान शिव अपने गले में विषधारी नाग को रखते है, और स्वयं विष पिने से सम्पूर्ण विश्व सुरक्षित हुआ।
एक मत के अनुसार भगवान विष्णु और ब्रम्हा जी के बिच इस बात पर बहस हो गयी थी की सबसे बड़ा कौन है, तो इसके दौरान एक शिवलिंग उत्पन होता है, जो बहुत बड़ा था तो ब्रम्हा जी ने कहा की मैं इसका आदि देखता हूँ और विष्णु जी इसका अंत देख रहे थे लेकिन न ही विष्णु जी को और ना ही व्रह्मा जी को इस शिवलिंग का आदि मिला और ना अंत तो भगवान ब्रम्हा और विष्णु ने इस शिवलिंग की पूजा की जिस कारन इस दिन को महाशिवरात्रि का पर्व के रूप में मनाया जाने लगा। ( महा शिवरात्रि क्यों मनाई जाती है )
महाशिवरात्रि का वैज्ञानिक महत्व
महाशिवरात्रि को मनाये जाने के पीछे केवल कोई धार्मिक कारण ही नहीं है बल्कि वैज्ञानिक दृष्टि से भी यह पर बहुत महत्त्व रखता है, क्योंकि भगवान् शिव की पूजा के लिए बेल पत्र महत्वपूर्ण माना जाता है, धार्मिक दृष्टि से देखे तो बेल पत्र को, भगवान शिव की तीन नेत्र, ब्रह्मा, विष्णु महेश या फिर भगवान शिव के सस्त्र त्रिशूल का प्रतिक माना जाता है,
लेकिन वैज्ञानिक दृष्टी से देखे तो इसके शरीर की तीन मुख्य नाड़ियों इडा, पिंगला और सुषुम्ना का प्रतीक माना जाता है, और विज्ञान यह मानता है की यदि इन तीन नाड़ियों के बिच संतुलन बन जाये तो हम अपने जीवन में बहुत कुछ हासिल कर सकते है।
महाशिवरात्रि कर पर्व भगवान के प्रति आस्था रखने वाले लोगो के लिए महत्वपूर्ण स्थान रखता है। हिन्दू धर्म में भगवान शिव को देवों का देव कहा जाता है क्योंकि भगवान शिव देवों में सबसे ऊँचा दर्जा दिया गया है। महाशिवरात्रि को व्रत के साथ पूरी विधि विधान से भगवान शिव की पूजा अर्चना की जाती है।
इस दिन को भगवान शिव की पूजा करने से मन चाही इच्छा प्राप्त होती है। खासकर महिलाओं के द्वारा इस दिन पर भगवान शिव के पूजा अर्चना करने पर मनचाहे वर की प्राप्ति होती है।
महाशिवरात्रि का पर्व कैसे मनाया जाता है
अलग अलग स्थान पर इस पर्व को अलग अलग तरीके से मनाया जाता है बहुत सी जगह पर इस पर्व को व्रत रखकर तो कही इस दिन पर कीर्तन भजन कर मनाया जाता है। महाशिवरात्रि के पर्व पर व्रत रखने वाले व्यक्ति को मोक्ष की प्राप्ति होती है। इस वर्त को लगातार 14 वर्षो तक रखने के बाद विधि विधान के साथ वर्त का समापन किया जाता है।
महाशिवरात्रि व्रत की शुरुआत सुबह स्नान करने के साथ शुरू होती है, इसके बाद भगवन शिव की पूजा अर्चना की जाती है. जल, शहद, दूध से शिवलिंग को स्नान करवाया जाता है, साथ ही बेलपत्र, बेर, फल प्रसाद को चढाने के बाद व्रत की शुरूआत होती है। श्याम के समय पर भगवान शिव की कथा के साथ पूजा अर्चना करने के बाद प्रसाद, भोग ग्रहण किया जाता है।
शिव पुराण में कहा गया है कि दूध, योगर्ट, गुड़, शहद, घी और पानी से भगवान शिव का रुद्राभिषेक करने से भगवान प्रसन्न होते हैं। रुद्राभिषेक में जल से शुद्धी, गु़ड़ से खुशियां, घी से जीत, शहद से मीठी वाणी, योगर्ट से समृद्धि प्राप्त होती है।
प्रतिवर्ष महाशिव रात्रि का पर्व फरवरी या मार्च महीने में पड़ता है महाशिवरात्रि का यह पर्व शुभ मुहूर्त के अनुसार ही पूरी विधि विधान के साथ मनाया जाता है तो चलिए जानते है की महाशिवरात्रि का शुभ मुहूर्त 2022 में क्या होगा-
महाशिवरात्रि का शुभ मुहूर्त
साल 2022 में महाशिवरात्रि का व्रत 1 मार्च को होगा जिसका शुभ मुहूर्त सुबह 3 बजकर 15 मिनट से 2 मार्च, बुधवार को सुबह 10 बजे तक रहेगा।
उम्मीद है की महाशिवरात्रि क्यों मनाई जाती है / Why Is Shivratri Celebrated In Hindi, कब मनाई जाती है और कैसे मनाई जाती है की जानकारी आपको मिल चुकी होगी। आप कमेंट में इस जानकारी से सम्बंधित अपने विचार रख सकते है। यदि यह पोस्ट पसंद आई तो आप इसे सोशल मीडिया पर अपने दोस्तों के साथ जरूर शेयर करे।
Is din bhagwan shiv ji ka vivah bhi to hua tha.