Kargil War Story in Hindi – कारगिल विजय दिवस : भारत पाकिस्तान के बिच हुए कारगिल युद्ध में भारतीय सेना के बहादुर सैनिको का देश के प्रति देशभक्ति, बलिदान और उनके मजबूत इरादों के कारण आज हम जो गर्व महसूस करते है उन सैनिको के इस बलिदान को याद रखना प्रत्येक भारतीय का फर्ज है।
भारत पाकिस्तान के बिच हुए कारगिल वॉर में पाकिस्तान को जो करारी हार मिली वह आज भी पाकिस्तान को याद है। कारगिल की यह पहाड़ियां एलओसी से 10 किलोमीटर की दुरी पर भारतीय सीमा में स्थित, जिस पर इस समय पाकिस्तान का कब्ज़ा है। (kargil war in Hindi)
कारगिल विजय दिवस / Kargil Vijay Diwas
26 जुलाई 1999 को भारतीय सैनिको के द्वारा पाकिस्तानी घुसपैठीयों के खिलाफ कारगिल की पहाडियों पर चलाये गए अभियान पर विजय मिली थी। इस विजय को पाने के लिए जिन सैनिको ने अपना बलिदान दिया था उनकी याद में कारगिल विजय दिवस मनाया जाता है।
कारगिल की पहाड़ियों पर जब पाकिस्तान ने अपना कब्जा कर लिया था जो इन पहाड़ियों को दुश्मन से आजाद करने के लिए भारतीय सेना ने विजय ओपरेशन चलाया था, यह Kargil War 60 दिनों तक चला था जिसमे 527 सैनिको ने अपना बलिदान दिया और इन सैनिकों के इस बलिदान को याद करने के लिए 26 जुलाई को कारगिल विजय दिवस के रूप में शहीदों को श्रधांजलि दी जाती है।
कारगिल वॉर का इतिहास / Kargil War Story in Hindi
सन 1999 के दौर में पाकिस्तान ने अपने बहुत से सैनिको को भारत में घुसपैठ करने के इरादे से भेजा था शुरू शुरू में तो सेना को लगा की इस स्थिति को कुछ समय में ही हल कर दिया जायेगा क्योंकि पाकिस्तान हमेशा से ही अपने सैनिको को घुसपैठ के इरादे से बॉर्डर पार भेजता रहता था और इसका भारतीय सेना मुह तोड़ जवाब देती थे लेकिन यह स्तिथि इससे अलग थी।
एक चरवाह के द्वारा सेना को यह सुचना मिली थी की पाकिस्तान कारगिल पर घुसपैठ करने की तैयारी में है जिससे सेना ने इसकी जानकारी लेने के लिए कारगिल की पहाडियों में छानबीन शुरू की. पाकिस्तानी घुसपैठीयों के द्वारा छानबीन पर गए जवानों को पकड़ लिया गया और उनमे से 5 की हत्या कर दी।
इसके बाद कारगिल की पहाडियो से इन पाकिस्तनियो को भागने के लिए सेना के द्वारा एक Operation चलाया गया जिसका नाम था “विजय” और इसकी शुरुआत 3 मई 1999 को हुई. जिसमे भारतीय सेना के 2 लाख सैनिको ने भाग लिया था।
घुसपैठीयों का पहाडियो में होने के कारण भारतीय सेना को इनकी सही जगह का पता लगाने में परेशानी हो रही थी और इसका फायदा घुसपैठीयों को मिल रहा था, युद्ध के दौरान भारत का गोलाबारूद जिस जगह पर जमा था घुसपैठीयों की गोलाबारी में वह नष्ट हो गया लेकिन भारतीय सैनिको के मजबूत इरादे और देश भक्ति की भावना के कारण सेना आगे बढती गयी।
15 जून 1999 को जब इस युद्ध की खबर अमेरिकी राष्पति बिल क्लिंटन को लगी तो उन्होंने पाकिस्तान सेना प्रमुख परवेश मुशर्रफ को फोन कर घुसपैठीयों को कारगिल की पहाडियो से वापस बुलाने को कहा।
19 साल के योगेन्द्र सिंह यादव को युद्ध के दौरान 15 गोलिया लग गई थी लेकिन इसके वावजूद भी ये रेंगते हुए दुश्मन के अड्डे तक पहुंचे, जहाँ उन्होंने 4 पाकिस्तानी सैनिको को मौत के घाट उतरा और घुसपैठीयों के बहुत से हथियारों को नष्ट किया।
24 साल के लांस नायक आबिद खान को पैर में गोली लगने के वावजूद भी ये आगे बड़े और इन्होने 17 पाकिस्तनियो को अपनी बन्दुक की गोली से मार गिराया।
Kargil War में वायुसेना के मिग -27 और मिग -29 को भी हिस्सा बनाया गया है जिससे दुश्मनों के अड्डो पर बम और मिसाइलों से हमला किया गया. इस युद्ध में 2 लाख 50 हजार तक गोले दागे गए। यह युद्ध द्वितीय विश्व युद्ध के बाद दूसरा ऐंसा युद्ध था जिसमे दुश्मन देश के खिलाप इतनी बड़ी संख्या में बमबारी की गयी थी।
भारतीय सेना युद्ध के दौरान एक के बाद एक पोस्ट को हासिल कर आगे बढती गयी जिससे 3 मई 1999 को शुरु हुए इस युद्ध की समाप्ति 26 जुलाई 1999 को टाइगर हिल पर तिरंगा लहराते भारतीय सेना की विजय के रूप में हुई।
कारगिल वॉर से जुड़े कुछ महत्वपूर्ण तथ्य
- कारगिल वॉर के समय देश के प्रधानमंत्री अटल विहारी वाजपेयी थे।
- भारत पाकिस्तान के बिच लड़ा गया यह कारगिल वॉर 60 दिनों तक चला।
- कारगिल वॉर में देश की रक्षा करते हुए 527 सैनिकों ने देश के लिए अपना बलिदान दिया।
- दुश्मनों को कारगिल की पहाड़ियों से खदेड़ने के लिए जो ओपरेशन चलाया गया था इसका नाम विजय था।
- कारगिल वॉर के इस युद्ध में कुल मिलकर लगभग 2 लाख सैनिकों ने भाग लिया था।
- इस युद्ध में भारतीय वायु सेना ने 2 लाख 50 हजार बम के गोले दागे गए थे।
- द्वितीय विश्व युद्ध के बाद यह दूसरा ऐंसा युद्ध था जिसमे दुश्मन के खिलाफ इतनी बड़ी संख्या में बम के गोले दागे गए थे।
- इस युद्ध में पाकिस्तान के 3 हजार सैनिक मरे गए थे।
- यह युद्ध 18 हजार की ऊंचाई में लड़ा गया था।
- इस युद्ध में भारतीय सेना को मुश्किलों का सामना करना पड़ा क्योंकि दुशमन ऊँची पहाड़ियों में छिपा था जो आराम से हमारी सेना को देख सकता था जबकि भारतीय सेना को दुश्मन की नजर से बचते हुए इन पहाड़ियों पर चढ़कर दुश्मन को मार गिरना था।
- कारगिल पहाड़ियों पर पाकिस्तान ने भारतीय सेना के लगभग 140 पोस्ट पर अपना कब्ज़ा किया हुआ था।
- पाकिस्तान ने इस ओपरेशन को कोह-ए-पैमा नाम दिया था।
- कारगिल वॉर में भारतीय सेना ने मिग-27, मिग-23एस, मिग-2आई, जगुआर, मिराज-2000 जैसे लड़ाकू विमानों का इस्तेमाल किया।
भले ही भारत इस युद्ध में जीत गया लेकिन इस जीत के पीछे हमने अपने सैनिको को भी खोया, जो की हमारे लिए बहुत बड़ा नुक्सान है।
कारगिल युद्ध के हीरो
कारगिल वॉर में सभी सैनको ने अपना पूरा योगदान दिया, और उनके इस योगदान के कारण ही हमें जीत मिल पाई, देश के शहीद होने वाले इन सैनिको में से एक थे कैप्टन विक्रम बत्रा, और इन पर एक मूवी भी बनाई गयी जिसका नाम है शेरशाह।
कैप्टन मनोज कुमार पांडे, राइफल मैन संजय कुमार, मेजर पदमपानी आचार्य, कैप्टन अनुज नैय्यर, कैप्टन एन केंगुर्सू इनके आलावा इस युद्ध में भाग लेने वाले सभी सैनिक, और वह सभी सभी सैनिक जिन्होंने देश के लिए अपना बलिदान दिया सभी हम सबके हीरो है, जिनकी वजह से हमें एक नई जिंदगी मिली।
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Sach kaha ji.baat to himmat wali hai.