एंजेलो मोरियोनडो – दुनिया की पहली एस्प्रेसो मशीन के अविष्कारक : एंजेलो मोरियोनडो के 171वें जन्मदिन के अवसर पर आज गूगल डूडल लगाया गया है, एंजेलो मोरियोनडो, वह व्यक्ति जिसने पहली एस्प्रेसो मशीन का पेटेंट कराया था, जिन्होंने कॉपी प्रेमियों की असुविधाओं को ध्यान में रखते हुए एस्प्रेसो मशीन के अविष्कार कर बचाया लोगो का समय।
एंजेलो मोरियोनडो : दुनिया की पहली एस्प्रेसो मशीन के अविष्कारक
एंजेलो मोरियोनडो का जन्म 6 जून 1851 को इटली के ट्यूरिन शहर में हुआ था, यह उद्यमियों के पारिवार में जन्मे थे, इनके दादा जो की एक शराब कंपनी के संस्थापक थे, और इसके बाद इनके पिता इस कंपनी के मालिक बने, एक उद्यमि परिवार होने के कारण नए विचार और परियोजनाये बनाना इनके परिवार की आम बात थी।
एंजेलो मोरियोनडो के पिता ने बाद में अपने भाइयों के साथ मिलकर मोरियोनडो और गैरीग्लियो जो की चॉकलेट की एक लोकप्रिय कंपनी थे का निर्माण किया।
अपने दादा और पापा की विरासत को आगे बढाने के लिए एंजेलो मोरियोनडो ने दो प्रतिष्ठान खरीदे, इनके पहले प्रतिष्ठान में शहर के बीचे में पियाजो कार्लो फेलिस में स्थित ग्रैंड-होटल लिगुर था जबकि उनका दूसरा प्रतिष्ठान वाया रोमा के गैलेरिया नाजियोनेल में स्थित एक अमेरिकन बार था।
इस समय इटली में कॉपी की लोकप्रियता काफी थी, हर जगह कॉपी प्रेमियों की भीड़ लगी रहती थी, और इसके लिए ग्राहकों का कभी इंतजार करना होता था, इसी बिच एक व्यवसायी होने के फलस्वरूप मोरियोनडो को यह विचार आया की, कैसे वह कम समय में बहुत से कॉपी कप बनाकर तैयार कर सकते है, जिससे की वे अधिक अधिक ग्राहकों को कॉपी बेच पायें साथ ही इससे वह अपने सेक्टर में अपने कॉम्पिटिटर से आगे बढ़ सकते थे।
इस काम को पूरा करने के लिए उन्होंने एक मैकेनिक को हायर किया, और जल्द ही एक एस्प्रेसो मशीन का निर्माण करवाया, और इस एस्प्रेसो मशीन को उन्होंने 1884 में ट्यूरिन के जनरल एक्सपो में पेश किया, जहाँ उन्हें उनकी इस मशीन को ब्रॉन्ज मैडल से सम्मानित किया गया।
उनकी इस मशीन में दो वायलर का उपयोग किया गया था जिसमे से एक बड़ा बायलर का काम था काफी को बेड के जरिये गर्म पानी से पुश करना था जबकि दुसरे वायलर में स्ट्रीम बनती थी जो कॉपी के बेड को पुश कर कॉपी बनाता था।
एंजेलो मोरियोनडो को एस्प्रेसो मशीन का पेटेंट मिला जिसका नाम था ”न्यू स्टीम मशीनरी फॉर द इनोनॉमिक एंड इंस्टेंशियज कंफेक्शन ऑफ कॉफी बेवरेज, ‘मैथड मोरियोनडो’, इसके बाद वह कई सालों तक इस अविष्कार में सुधार करते रहे, और पेटेंट जरी रखा।