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फ्रीएडलीब फ़र्दिनांद रंग , Friedlieb Ferdinand Runge in hindi

आज के दिन पर जर्मन एनालिटिकल केमिस्ट फ्रीएडलीब फ़र्दिनांद रंग , Friedlieb Ferdinand Runge के 225 वें जन्मदिन पर गूगल डूडल लगाकर उन्हें सम्मानित किया गया है. ये जर्मनी के एक महान रसायन वैज्ञानिक (केमिस्ट) थे जिन्होंने रसायन विज्ञान में उपयोग होने वाली ‘पेपर क्रोमैटोग्राफी’ विधि का आविष्कार किया था।फ्रीएडलीब फ़र्दिनांद रंग , Friedlieb Ferdinand Runge in hindi

फ्रीएडलीब फ़र्दिनांद रंग , Friedlieb Ferdinand Runge in hindi

फ्रीएडलीब फ़र्दिनांद रंग / Friedlieb Ferdinand Runge का जन्म 8 फरवरी 1795 में हैम्बर्ग जर्मनी में हुआ था। इनके पिता एक पादरी थे. बचपन से ही फ्रीएडलीब फ़र्दिनांद रंग को रसायन विज्ञान में रुचि थी और जब वे किशोर थे तो इन्होने प्रयोग करना शुरू कर दिया था. एक बार इनके एक प्रयोग के दौरान इनकी आखों में बेलाडोना अर्क की कुछ बुँदे चली गई जिससे इनकी पुतली कमजोर पड़ गई.

सन 1819 में फ्रीएडलीब फ़र्दिनांद रंग ने मेडिकल की डिग्री जेना विश्वविद्यालय से पूरी की, जेना विश्वविद्यालय में इन्होने रसायनज्ञ और आविष्कारक जोहान वोल्फगैंग डोबरेनेर के तहत अध्ययन किया था. इसके बाद इन्होने बर्लिन विश्वविद्यालय में दाखिला लिया और यहाँ से 1822 में रसायन विज्ञान में डाक्टरेट की डीग्री पूरी की.

रसायन विज्ञान में डाक्टरेट की डीग्री पूरी करने के बाद इन्होने ब्रेसलो विश्वविद्यालय में प्रोफेसर के तौर पर काम शुरू किया और इसके बाद इन्होने सन 1831 में ओरनिएन्बुर्ग नामक एक जगह पर स्थित रसायन फैक्ट्री में काम करने के लिए ब्रेसलो विश्वविद्यालयकरना से प्रोफेसर के पद छोड़ दिया. इस समय के दौरान, उन्होंने पहले कोल टार डाई और कपड़े रंगाई के लिए एक संबंधित प्रक्रिया का आविष्कार किया।

25 वर्षीय रसायनज्ञ से प्रभावित होकर, जोहान वोल्फगैंग वॉन गोएथ ने दुर्लभ कॉफी बीन्स का एक बैग इन्हें सौंपा और सुझाव दिया कि वह उनके रासायनिक श्रृंगार का विश्लेषण करें। इसके तुरंत बाद, Friedlieb Ferdinand Runge ने सक्रिय तत्व को अलग कर दिया जिसे हम आज कैफीन के रूप में जानते हैं.

1950 में इन्होने अपनी एक पुस्तक भी लिखी जिसमे इन्होने पेपर क्रोमैटोग्राफी के बारे में विस्तृत जानकारी के साथ बताया है, पेपर क्रोमैटोग्राफी एक विधि होती है जिसके द्वारा रसायन विज्ञान में विभिन्न रंगों रसायनों या पदार्थों को अलग अलग कर दया था , इस विधि द्वारा कई प्रकार के तत्वों को जो एक साथ अच्छी तरह से मिले हुए हो उन्हें भी आसानी से सबको अलग अलग किया जा सकता है।

फ्रीएडलीब फ़र्दिनांद रंग के द्वारा किये गए अविष्कार में कुनैन जिसका उपयोग मलेरिया के लिए में भी किया जाता है का अविष्कार भी शामिल था. इसके आलावा चुकंदर के रस से चीनी निकलना भी इनके द्वारा तैयार की गयी एक विधि थी. फ्रीएडलीब फ़र्दिनांद रंग की मृत्यु 25 मार्च 1867 को जर्मनी के ओरानिएनबर्ग, प्रशिया नामक स्थान पर हुई।

फ्रीएडलीब फ़र्दिनांद रंग के द्वारा किये गए अविष्कार

  • कुनैन का अविष्कार किया जिसका उपयोग इस समय मलेरिया के इलाज में दवाई के रूप में किया जाता है.
  • इन्होने एक कार्बोलिक अम्ल की खोज भी की थी, जो एक तारकोल तेल का यौगिक था. कार्बोलिक अम्ल को अब फिनॉल कहा जाता है।
  • इन्होने पायरोल , रसोलिक एसिड (औरिन), और सायनोल (एनिलिन) रासायनिक तत्व की भी पहचान की थी.
  • 1950 में इन्होने अपनी एक पुस्तक भी लिखी जिसमे इन्होने पेपर क्रोमैटोग्राफी के बारे में विस्तृत जानकारी के साथ बताया है.
  • कैफीन की पहचान का श्रेय भी फ्रीएडलीब फ़र्दिनांद रंग को ही जाता है.
  • तारकोल (एनिलिन नीला) , पेपर क्रोमैटोग्राफी, पिरामिड, चिनोलिन, थाइमोल और एट्रोपीन आदि की पहचान का श्रेय भी इन्हें ही जाता है.
  • सन 1855 में फ्रीएडलीब फ़र्दिनांद रंग ने ही सबसे पहले ‘लिसगैंग रिंग’ का पता लगा दिया था।

उम्मीद है की आपको फ्रीएडलीब फ़र्दिनांद रंग , Friedlieb Ferdinand Runge in hindi की जानकारी पसंद आई होगी, आप इस जानकारी को अपने दोस्तों के साथ भी सोशल  मीडिया पर शेयर कर सकते है धन्यवाद..

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