google doodle – Knowledge Hindi Me https://www.knowledgehindime.com KnowledgeHindiMe - is Blog par aapko Biography, Special Day, Festival, Education, Motivation ki jaankari Hindi me di jati hai. Sat, 17 Jun 2023 19:35:36 +0000 en-US hourly 1 https://wordpress.org/?v=6.5.2 https://i0.wp.com/www.knowledgehindime.com/wp-content/uploads/2021/05/cropped-knowledge.png?fit=32%2C32&ssl=1 google doodle – Knowledge Hindi Me https://www.knowledgehindime.com 32 32 163273285 डॉ कमला सोहनी की 112वीं जयंती | गूगल डूडल https://www.knowledgehindime.com/kamala-sohonie-hindi/ https://www.knowledgehindime.com/kamala-sohonie-hindi/#comments Sat, 17 Jun 2023 19:24:57 +0000 https://www.knowledgehindime.com/?p=1922 Read more]]> डॉ कमला सोहनी की 112वीं जयंती- आज का गूगल डूडल प्रसिद्ध भारतीय बायोकेमिस्ट डॉ कमला सोहोनी के 112वां जन्मदिन के अवसर पर लगाया गया है। ऐंसे दौर में जब महिलाओं को हर क्षेत्र में पीछे रखा जाता था डॉ कमला सोहोनी अन्य महिलाओं के लिए एक मिसाल बनी।

kamala sohonies 112th birthday

कमला सोहनी भारत की प्रसिद्ध कृषि विज्ञानी और वनस्पति विज्ञानी थीं। उन्होंने वनस्पति विज्ञान और जैव प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान दिए हैं। उन्होंने कई वनस्पति जीवन संबंधी अध्ययनों के लिए विश्वविद्यालयों और अन्य संगठनों में काम किया है।

वह वैज्ञान के क्षेत्र में पी एच डी प्राप्त करने वाली पहली भारतीय महिला थीं। उस समय लड़कियों को किसी भी काम में आगे रखने पर लोगो के द्वारा विरोध होता था तो ऐंसी कठिन परिस्थितियों में उन्होंने अपनी PHD की पढाई पूरी की।

कमला सोहोनी को पद्मश्री से सम्मानित किया गया और उन्हें अनेक पुरस्कारों से भी नवाजा गया। उन्होंने कृषि विज्ञान में नवाचारों की विकास में महत्वपूर्ण योगदान दिया और अन्यान्य पश्चिमी देशों के साथ सहयोग किया।

कमला सोहोनी की गहन ज्ञानभूमि और विज्ञानिक योगदान के कारण उन्हें विज्ञान क्षेत्र में एक प्रमुख व्यक्ति के रूप में मान्यता प्राप्त है। उनकी सामरिकता, आविष्कारी दृष्टिकोण और कृषि विज्ञान में उनके योगदान की प्रशंसा की गई है।

डॉ कमला सोहनी

डॉ कमला सोहोनी का जन्म इंदौर, मध्य प्रदेश में 18 जून 1911 को हुआ था इनके पारिवार में इनके माता पिता भी रसायनशास्त्री थे जिसके चलते इन्होने बॉम्बे विश्वविद्यालय से रसायन विज्ञान और भौतिक विज्ञान की पढाई शुरू की और 1933 में स्नातक की उपाधि प्राप्त की।

इसके बाद वह भारतीय विज्ञान संस्थान (IISc) में भी शामिल हुई और यहाँ शामिल होने वाली पहली महिला बनी, एक महिला होने के कारण उन्हें बहुत सी समस्याओं का सामना करना पड़ा, लेकिन इसके बादजूद भी अपने शोध के बलबूते पर उन्होंने निर्देशक को भी प्रभावित किया।

इसका असर यह हुआ की अगले वर्ष से महिलाओं की अधिक नियुक्ति होने लगी, और इसके बाद फलियों में पाए जाने वाले प्रोटीन का अध्यन कर यह निष्कर्ष निकला की यह बच्चों में पोषण देने का काम करते है, 1936 में इस विषय पर उन्होंने अपनी थीसिस प्रकाशित की और मास्टर डिग्री हासिल की।

इसके एक साल बाद उन्होंने कैंब्रिज यूनिवर्सिटी में रिसर्च स्कॉलरशिप मिली, डॉ सोहोनी ने ऊर्जा उत्पादन के लिए महत्वपूर्ण एंजाइम साइटोक्रोम सी की खोज की और पाया कि यह सभी पौधों की कोशिकाओं में मौजूद था। केवल 14 महीनों में, उन्होंने इस खोज के बारे में अपनी थीसिस पूरी की और पीएचडी की।

बाद में वह भारत लौट आई और यहाँ डॉ. सोहोनी ने कुछ खाद्य पदार्थों के लाभों का अध्ययन करना जारी रखा और पाम अमृत से बने एक किफायती आहार पूरक को विकसित करने में मदद की। नीरा नामक यह पौष्टिक पेय विटामिन सी का एक अच्छा स्रोत है और कुपोषित बच्चों और गर्भवती महिलाओं के स्वास्थ्य में सुधार करने के लिए सिद्ध हुआ है।

डॉ सोहोनी को नीरा पर उनके काम के लिए राष्ट्रपति पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। वह बॉम्बे में रॉयल इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस की पहली महिला निदेशक भी बनीं। सन 1998 में कमला सोहोनी की ने अपनी अंतिम सांस ली।

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मैरी थारपी Marie Tharp कौन थी https://www.knowledgehindime.com/marie-tharp-in-hindi/ https://www.knowledgehindime.com/marie-tharp-in-hindi/#respond Sun, 20 Nov 2022 18:17:54 +0000 https://www.knowledgehindime.com/?p=1702 Read more]]> मैरी थारपी / मैरी थारप : प्रसिद्ध अमेरिकी भूविज्ञानी, समुद्र विज्ञान मानचित्रकार मैरी थारपी जिन्होंने the theories of continental drift को साबित करने में मदद की, साथ ही समुद्र तल का पहला विश्व मानचित्र भी प्रकाशित किया, और आज के ही दिन 1998 में 20वीं शताब्दी की की महान मानचित्रकार के इनका नाम शामिल हुआ।

मैरी थारपी (मैरी थारप) कौन थी ?

मैरी थारपी का जन्म 30 जुलाई 1920 को यप्सिलंती, मिशिगन में हुआ था। इनके पिता जो की अमेरिकी कृषि विभाग में काम करते थे इनके पिता के द्वारा एकत्रित किये गए मिटटी के आंकड़ों के आधार पर वह नक़्शे बनाया करती थी। वह बचपन से अपने पिता के साथ खेतों में जाया करती और इस तरह से ही उन्हें मैपमेकिंग का शुरूआती ज्ञान यहाँ से मिला।

मैरी थारपी गूगल डूडल हिंदी मैरी थारप

मिशिगन विश्वविद्यालय से पेट्रोलियम भूविज्ञान में मास्टर डिग्री ली और उस समय बहुत कम महिलाएं थी जिन्होंने विज्ञान के क्षेत्र में इस तरह की पढाई की थी। 1948 में मैरी थारप न्यूयार्क चली गई और यहाँ उन्होंने लैमोंट भूवैज्ञानिक वेधशाला में काम किया और साथ ही वह यहाँ काम करने वाली पहली महिला भी थी । यहाँ उनकी मुलाकात भूविज्ञानी ब्रुश हेजेन से हुई और यहाँ से शुरू होता है उनका समुद्र तल का मानचित्र बनाने की खोज और इसके बाद मैरी थारपी और हेजेन ने साथ मिलकर 30 वर्षों तक एक साथ काम किया।

हेजेन जिनके पास अटलांटिक महासागर के गहराई का डाटा था और इस डाटा का उपयोग मैरी थारपी ने समुद्र तल के नक़्शे को बनाने में किया, पानी की गहराई का पता लगाने वाले सोनार की मदद से उन्होंने बहुत सा डाटा इकठ्ठा किया और इस आधार पर मध्य अटलांटिक रिज के खोज में मदद की हालांकि, जब उन्होंने भूकंप के अधिकेंद्र के नक्शे के साथ इन वी-आकार की दरारों की तुलना की, तो हेजेन तथ्यों की अनदेखी नहीं कर सके। प्लेट टेक्टोनिक्स और कॉन्टिनेंटल ड्रिफ्ट अब केवल सिद्धांत नहीं रह गए थे-समुद्र तल निस्संदेह फैल रहा था।

1957 में, थारप और हेज़ेन ने उत्तरी अटलांटिक में समुद्र तल का पहला नक्शा बनाकर तैयार किया,  बीस साल बाद, नेशनल ज्योग्राफिक ने थारप और हेज़ेन द्वारा लिखित पूरे समुद्र तल का पहला विश्व मानचित्र प्रकाशित किया, जिसका शीर्षक था “द वर्ल्ड ओशन फ्लोर।”  इससे पहले भी कई वैज्ञानिक समुद्रतल का नक्शा बना चुके थे लेकिन इनके नक़्शे अधिक जानकारी नहीं दे पते थे उन्हें इन नक्शों से यह उम्मीद थी की समुद्र तल सपाट है लेकिन मैरी थारप  के मानचित्र से पता लगा की समुद्र तक कई बडी बडी घाटियों, पहाड़ों से बना है।

1995 में मैरी थारपी ने पूरा मानचित्र कांग्रेस के पुस्तकालय को दान में दे दिया कांग्रेस के पुस्तकालय ने भूगोल और मानचित्र प्रभाग की 100विं वर्षगांठ के अवसर पर 20विं  सदी के सबसे महत्वपूर्ण मानचित्रकारों में से एक में उनका नाम शामिल किया 2001 में लैमोंट भूवैज्ञानिक वेधशाला जहाँ से उन्होंने अपना कैरिअर शुरू किया था ने अपने पहले वार्षिक लामोंट-डोहर्टी हेरिटेज अवार्ड से सम्मानित किया।

23 अगस्त 2006 को मैरी थारपी का निधन हो गया। 2019 में कोलंबिया विश्वविद्यालय ने मैरी थारप लैमोंट रिसर्च प्रोफेसरशिप बनाई। मैरी थारपी के बारे में बहुत सी किताबें उनकी मृत्यु के बाद सॉल्विंग द पजल अंडर द सी: मैरी थारप मैप्स द ओशन फ्लोर (2016) रॉबर्ट बर्ले द्वारा, जेस कीटिंग और मैरी ओशन द्वारा: मैरी थार्प मैप्स द माउंटेंस अंडर द सी (2020), ओशन स्पीक्स: हाउ मैरी थारप ने महासागर के सबसे बड़े रहस्य का खुलासा किया (2020) ) जोसी जेम्स का एक ग्राफिक उपन्यास है किताबें प्रकाशित हुई।


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