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मदर टेरेसा की जीवनी – Mother Teresa Biography In Hindi

Mother Teresa Biography In Hindi : ईसाइयों के सबसे बड़े धर्म गुरु पोप फ्रांसिस ने 4 सितम्बर 2016 को विश्व शांति व सेवा दूत मदर टेरेसा को वेटिकन सिटी रोम के सेंट पीटर्स स्कवायर में आयोजित कार्यक्रम में संत की उपाधि से सम्मानित किया और अब इन्हें संत मदर टेरेसा के नाम से जाना जायेगा। मदर टेरेसा को दी गयी इस उपाधि के उपलक्ष में भारतीय डाक के द्वारा डाक टिकट भी जारी किया गया था।Mother Teresa Biography In Hindi

मदर टेरेसा की जीवनी – Mother Teresa Biography In Hindi

संत मदर टेरेसा (Saint Mother Teresa) का जन्म 26 अगस्त 1910 को उस्कुब में हुआ था जो अब मेसिडोनिया में स्थित है। इनके पिता का नाम निकोला बोयाजू और माता का नाम ब्रोना बोयाजू था। इनके पिता व्यवसायी थे।

मदर टेरेसा का वास्तिविक नाम अगनेस गोझा युगोस्लाविया था। मात्र 8 साल की उम्र में इनके पिता का देहांत हो जाने के कारण इनकी लालन पोषण का भार इनकी माँ पर आ गया।( Mother Teresa Biography In Hindi )

मदर टेरेसा ( Mother Teresa) बचपन से ही मेहनती और अध्यनशील रही है पढाई के साथ साथ इन्हें गाना बेहद पसंद था। यह और  इनकी बड़ी बहन घर के पास ही गिरजाघर में मुख्य गायिका थी। बचपन में इनकी माँ इन्हें लोगो के सहयाता करने की शिक्षा दिया करती थी। 18 साल की उम्र में ही यह सिस्टर्स और लोरेन में शामिल हो गयी और यहाँ इन्होने नन की शिक्षा ली।
सिस्टर्स और लारेन में शामिल होने के बाद ये आयरलैंड की राजधानी डबलिन में रहने लगी और इसके बाद ये कभी अपने घर नहीं गयी और ना ही कभी अपने बहन और माँ से मिली। डबलिन में इन्होने अंग्रेज़ी भाषा भी सीखी।

मदर टेरेसा का योगदान (Mother Teresa’s Contribution)

1929 को लारेन के एक कार्यक्रम के दौरान इन्हें भारत आने का मौका मिला. यह भारत में सबसे पहले दार्जिलिंग आई यहाँ इन्हें मिशन की स्कूलों में पढ़ाने के लिए भेजा गया था। मई 1931 में नन के रूप में प्रतिज्ञा लेने के बाद इन्हें कोलकाता के लोरेंट कान्वेंट स्कूल भेजा गया जहाँ इन्हें बंगाली गरीब लडकियों को शिक्षा देने को कहा गया था।
कोलकाता में लोगो की लाचारी, बीमारी और गरीबी ने इनको बहुत प्रभावित किया और इन्होने अपना शिक्षण कार्य छोड़ दिया और बीमार लोगो की सहायता करने लगी। 1943 में अकाल पड़ने से हुई लोगो की मौत से और लोगो की दशा को देख कर इन्होने लोगो की सेवा करने का मन बना लिया था।

लोरेंटो छोड़ने के बाद शुरुआत में इनके पास आमदनी का कोई श्रोत नहीं था जिस कारण इन्हें दूसरों की मदद लेनी पड़ी फिर भी कठिन परिस्थिति आने के वावजूद भी ये लोगो की सहयता करती रही।

7 अक्टूबर 1550 को इन्होने वेंटीकन से “मिशनरीज ऑफ़ चैरिटी” की स्थापना की जिसका उद्देश्य चर्म रोग से ग्रस्त, भूखों, अंधों, बेघर लोगो की मदद करना था। उस समय इस तरह किसी भी बीमारी से ग्लोरषित होने वाले लोगो को समाज में जगह नहीं दी जाती थी।

मिशनरीज ऑफ़ चैरिटी की शुरुआत में केवल 13 लोग इससे जुड़े हुए थे लेकिन 1997 मदर टेरेसा की मृत्यु तक इसमें 4 हजार से भी अधिक सिस्टर्स बेघर, बीमारग्रस्त लोग की मदद कर रही है।

संत मदर टेरेसा (Saint Mother Teresa) के द्वारा लोगो की सहायता करने पर इन्हें बहुत से अंतराष्ट्रीय और राष्ट्रीय सम्मान भी दिए गए जिनमे से भारतीय सरकार के द्वारा दिया गया पदमश्री (1962), भारत का सर्वोच्च नागरिक सामान भारत रत्न (1980) दिया गया। विश्व भारती विद्यालय ने इन्हें अपनी सर्वोच्च पदवी, दशिकोतम पदवी से सम्मानित किया. बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय की ओर से इन्हें डी लिफ्ट की उपाधि दी गयी।

19 दिसम्बर 1979 को Saint Mother Teresa को मानव कल्याण के लिए नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया और यह तीसरी भारतीय नागरिक थी, जिन्हें नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया था. इस पुरस्कार में मिली $192,000 की राशी को भी इन्होने गरीबो के मदद के लिए उपयोग किया.

अमेरिका स्थित कैथलिक विश्वविद्यालय के द्वारा इन्हें डॉक्टरेट की उपाधि से सम्मानित किया गया. 1985 में बिट्रेन के द्वारा इन्हें ईयर ऑफ़ द बिट्रिश एम्पायर की उपाधि दी गयी.

उम्र के साथ साथ उनका स्वास्थ्य खराब रहने लगा था जिस कारण उन्हें 1983 को 73 वर्ष की उम्र में पहला दिल का दौरा पड़ा. इसके बाद 1989 में इन्हें दूसरा दिल का दौरा पड़ा और 1991 में न्युमोनिया होने के बाद इनका स्वास्थ्य लगातार बिगड़ने लगा.

19 मार्च 1997 को Mother Teresa ने मिशनरीज ऑफ़ चैरिटी से Head का पद छोड़ दिया. मदर टेरेसा (Mother Teresa) की मृत्यु 5 सितम्बर 1997 को 87 वर्ष की आयु में कोलकाता भारत में हुई.

संत मदर टेरेसा के प्रेरणादायक कथन / Saint Mother Teresa Quotes

मदर टेरेसा / Mother Teresa अपने जीवन में बहुत से प्रेरणादायक कथन लोगो को दिया करती थी जिनके से कुछ की जानकारी आपको दी जाने वाली है-
  1. मै चाहती हूँ की आप पडोसी के बारे में चिंतिति हो.
  2. शब्दों से मानव जाति की सेवा नहीं होती, इसके लिए पूरी लगन से कार्य में जुट जाने की जरूरत है.
  3. यदि आप सौ लोगो को खाना नहीं खिला सकते तो एक को तो जरूर खिलाईये.
  4. सबसे बड़ी बीमारी तपेदिक या कुष्ठ रोग नहीं बल्कि अवांछित होना ही सबसे बड़ी बीमारी है.
  5. हम सभी ईश्वर के हाथ में एक कलम के समान है.
  6. प्रेम एक ऐसा फल होता है जो सभी मौसम में मिलता है और हर कोई इसे पाना चाहता है.
  7. अकेलापन सबसे भयानक गरीबी होती है.
  8. चमत्कार यह नहीं की हम कोई काम करते है बल्कि यह है की हमें काम को करने से ख़ुशी मिलती है.
  9. अगर आप यह देखना शुरू करेंगे की आपके आस पास लोंग कैसे है तो आपको उन्हें प्रेम करने का समय नहीं मिलेगा.
  10. जहाँ जाईये प्यार फैलाइए, जिससे जो भी आपके पास आये वह खुश होकर लोटे.

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