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बुद्ध पूर्णिमा का पर्व क्यों मनाया जाता है, इस पर्व को कहाँ कहाँ मनाया जाता है

बुद्ध पूर्णिमा कब है – बुद्ध पूर्णिमा का पर्व बौद्ध अनुनायियों के लिए महत्वपूर्ण स्थान रखता है, हिन्दू वर्ष के अनुसार वैशाख महीने की पूर्णिमा को प्रतिवर्ष बुद्ध पूर्णिमा का त्यौहार मनाया जाता है, जो की आमतौर पर अप्रैल या मई महीने में होता है, इस पर्व को बुद्ध पूर्णिमा, बुद्ध जयंती आदि नामो से जाना जाता है।बुद्ध पूर्णिमा कब है

भगवान गौतम बुद्ध के जन्म, ज्ञान, और मृत्यु के प्रतिक के तौर पर बुद्ध पूर्णिमा का पर्व मनाया जाता है यह पर्व बौद्ध अनुनायियों के लिए एक  महत्वपूर्ण पर्व है, गौतम बुद्ध को भगवान् गौतम बुद्ध, महात्मा बुद्ध, सिद्धार्थ, शाक्यमुनि आदि नामो से जाना जाता है। तीसरी सताब्दी ईसा पूर्व लुम्बिनी में ही सम्राट अशोक ने भगवान् गौतम बुद्ध के प्रतीक के तौर पर उनका स्तंभ भी बनवाया था।

बुद्ध पूर्णिमा का इतिहास

गौतम बुद्ध का जन्म (563 ईसा पूर्व–483 ईसा पूर्व) को कपिलबस्तु के निकट लुम्बिनी में हुआ था, कपिलबस्तु उस समय शाक्य महाजनपद की राजधानी थी, यह इस समय नेपाल में स्थित है, इनके पिता लुम्बिनी के राजा शुद्धोदन थे।

महात्मा बुद्ध के जन्म के सात दिन बाद इनकी माता का निधन हो गया, इसके बाद इनका लालन पोषण इनकी मौसी और शुद्धोदन की दूसरी पत्नी गौतमी ने किया, गौतम बुद्ध का बचपन का नाम सिद्धार्थ रखा गया, इनका जन्म गौतम गौत्र में हुआ था जिस कारण इन्हें गौतम नाम से भी जाना जाता है।

भगवान् बुद्ध को जब संसार में पाप, जन्म, मृत्यु का इन सबसे बारे में जाना तो इन्होने सत्य की खोज करने के लिए मोह माया को छोड़कर सन्यास ले लिया, उस समय यह लगभग 29 बर्ष के थे और ज्ञान की खोज में निकल पड़े इन्हें कई बर्षों तक कठोर तपस्या और साधना की।

बोधगया में 6 साल तक पीपल के पेड़ के निचे कठोर तपस्या और साधना के परिणाम स्वरूप इन्हें बुद्धत्व ज्ञान की प्रप्ति हुई, जिस बोधिवृक्ष के निचे इन्हें ज्ञान की प्राप्ति हुई थी वह आज भी बिहार के गया जिले में मौजूद है, भगवान् गौतम बुद्ध ने अपना पहला उपदेश सारनाथ में दिया था। महात्मा बुद्ध का निधन कुशीनगर भारत में हुआ।

बुद्ध पूर्णिमा क्यों मनाई जाती है

बुद्ध पूर्णिमा के दिन ही भगवान गौतम बुद्ध का जन्म हुआ था इसी दिन इनको ज्ञान की भी प्राप्ति भी हुई थी और इसी दिन भगवन बुद्ध पंचतत्व में बिलीन हुए। यह भी कहा जाता है की यह भगवान् विष्णु के नौवें अवतार थे, इसलिए सनातन धर्म में भी इस पर्व का महत्वपूर्ण स्थान है,

क्या मिथ है बुद्ध पूर्णिमा को लेकर

बुद्ध पूर्णिमा को लेकर अलग अलग मिथ भी सुनने को मिलते है कुछ के अनुसार भगवान् गौतम बुद्ध को विष्णु भगवान् का नौवा अवतार माना जाता है लेकिन बात करे दक्षिण भारत की तो यहाँ पर भगवान् श्रीकृष्ण को विष्णु भगवान् का नौवां अवतार माना जाता है, बौद्ध अनुनायि भी गौतम बुद्ध को विष्णु भगवान् का नवां अवतार नहीं मानते है।

बुद्ध पूर्णिमा का पर्व किस किस जगह मनाया जाता है

बुद्ध पूर्णिमा का यह त्यौहार भारत के आलावा श्रीलंका, नेपाल, चीन, कम्बोडिया जापान, इण्डोनेशिया, सिंगापूर, मलेशिया थाईलैंड जैसे और भी देशों में मनाया जाता है, सभी जगह इस पर्व को मनाये जाने के अलग अलग तरीके है लेकिन जहाँ भी यह पर्व मनाया जाता है, वहां पर सभी यही कामना करते है की, सभी का भला हो, सभी सुख शांति से रह सके, और गरीबों की मदद करना भी सभी का मकसद होता है।

बुद्ध पूर्णिमा का पर्व कैसे मनाया जाता है

इस दिन पर बौद्ध अनुनायियों के द्वारा घरों में दीपक जलाये जाते है, घरों को फूलों से सजाया जाता है, बहुत से लोग इस दिन पर बोधगया भी जाते है जहाँ महात्मा बुद्ध को बोध ज्ञान की प्राप्ति हुई थी वहां पर भगवान् बौद्ध की मूर्ति पर दीपक फुल चढ़ाकर पूजा करते है, इसके आलावा यहाँ पर बौधिवृक्ष की भी पूजा करते है। इस पर्व पर गरीबों को भोजन करवाया जाता है, उन्हें दान दिया जाता है

बुद्ध पूर्णिमा कब है

साल 2021 की बुद्ध पूर्णिमा 26 मई बुधबार को होगी, पूर्णिमा 25 मई मंगलबार को 8 बजकर 29 मिनट पर शुरू होगी वही इसका समापन तिथि 26 मई बुधबार को 4 बजकर 43 मिनट पर होगी।

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