Basant Panchami In Hindi : बसंत पंचमी क्यों और कब मनाया जाती है: भारत में प्रतिवर्ष हिन्दू कलेंडर के अनुसार माघ महीने की पंचमी को बसंत पंचमी का त्यौहार बड़ी धूमधाम के साथ मनाया जाता है इस पर्व को मनाये जाने का अपना एक अलग ही महत्त्व है क्योंकि इस दिन पर माँ सरस्वती की पूजा की जाती है. बसंत पंचमी का पर्व ज्यादातर पूर्वी भारत में और इससे भी ज्यादा पहाड़ी इलाकों में अधिक महत्त्व रखता है क्योंकि इस पर्व का सम्बन्ध पेड-पौधों की हरयाली से है. (Basant Panchami In Hindi)
Basant Panchami In Hindi : बसंत पंचमी हिंदी में
बसंत पंचमी, बसंत ऋतू के आने के साथ ही शुरू होता है, यह मौसम का एक रूप है जिसमे पेड़ पोधे की पतियाँ आना शुरू होती है, पतझड़ के समय ज्यादातर पेड़ पौधों की पतियाँ झड जाती है, लेकिन बसंत ऋतू के आते ही वापस सभी पेड़ पौधों में नयी पतियाँ के लिए अंकुर आना शुरू हो जाता है और और इससे हरयाली छा जाती है.
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बसंत पंचमी का महत्त्व
बसंत पंचमी का महत्त्व सभी के जीवन में महत्वपूर्ण है क्योंकि इसका सम्बन्ध पेड़ पोधों से है और पेड़ पौधे जीवन के लिए कितने जरूरी है यह सभी को पता है. बसंत पंचमी, बसंत ऋतू में ही मनाई जाती है और यह मौसम मानव जीवन के लिए बहुत ही आनंददायक होता है क्योंकि इस मौसम में प्रकृति में संतुलन बना रहता है, इस समय चारों ओर हरियाली से बातावरण शुद्ध होता है और यह मौसम ना ही अधिक गर्मी देता है और ना ही अधिक सर्दी.
पौराणिक महत्त्व
जब ब्रह्मा जी के द्वारा सृष्टि की रचना की जा रही थी तो सबसे पहले सृष्टि में जीवों की उत्पति हुई, लेकिन इसके बाद भी सृष्टि की उत्पति में कुछ कमी सी लग रही थी, क्योंकि चारों और शांति ही शांति थी, जिसके लिए ब्रम्हा जी ने अपने कमंडल से जल पृथ्वी पर डाला, और इससे पृथ्वी में मानस पुत्री सरस्वती माता का जन्म हुआ, जिनके हाथ में पुस्तक, माला, वर मुद्रा और विणा थी, ब्रम्हा जी ने माता सरस्वती को विणा वजाने का अनुरोध किया, और माता के विणा बजाते ही सृष्टि में जीव-जंतुओं को वाणी प्राप्त हुई, और जल, पेड़ पौधों की उत्पति के साथ ही सम्पूर्ण सृष्टि में हरयाली हुई और सृष्टि की रचना पूरी हुई.
रामायण के अनुसार
रामायण के अनुसार रावण के द्वारा जब सीता माता की हरण किया गया था तो सीता माता की खोज में श्री राम बहुत सी जगह गए, उन जगह में से एक जगह थी, दण्डकरण्य जहाँ पर सबरी का आश्रम स्थित था, जब श्री राम सबरी के आश्रम में गए तो यहाँ पर सबरी के द्वारा श्री राम को मीठे बेर देने के लिए बेर जूठे किये और जो बेर मीठे थे उन्हें श्री राम को दिए. श्री राम जी जिस दिन आश्रम में आये थे वह दिन बसंत पंचमी का था जिस कारण इस दिन को ही बसंत पंचमी पर्व के रूप में मनाया जाने लगा.
एतिहासिक महत्त्व
बसंत पंचमी के दिन की एक घटना इतिहास से सम्बंधित भी है जिसकी जानकारी होना बहुत जरूरी है, महोम्मद गौरी के द्वारा जब भारत पर आक्रमण किया गया था तो उस समय पृथ्वीराज चौहान के द्वारा मोहम्मद गौरी के द्वारा किये गए 17 आक्रमण में से तो 16 बार पृथ्वीराज चौहान की जीत हुई, लेकिन फिर भी उन्होंने मोहम्मद गौरी को मृत्यु नहीं दी लेकिन जब 17वीं बार मोहम्मद गौरी के द्वारा आक्रमण किया गया था तो इसमें पृथ्वीराज चौहान की हार हुई.
मोहम्मद गौरी के द्वारा पृथ्वीराज चौहान को जेल में डाल दिया गया और उनकी आँखे फोड़ दी गयी और यह सब इसलिए किया गया क्योंकि मोहम्मद गौरी, पृथ्वीराज चौहान के शब्दभेदी बाण को चलने की कला देखना चाहता था तो इस पर चौहान के मित्र चंदबरदाई के द्वारा गौरी को तवे पर चोट करने की सलाह दी गयी लेकिन इसके साथ ही उसने चौहान को भी संदेश दिया जिससे गौरी की स्थिति कहाँ पर है चौहान समझ गए और उन्होंने तवे की चोट के साथ साथ गौरी के सिने पर तीर चला दिया और इसके बाद खुद के भी प्राण ले लिए. इस वीर पुरुष की यह घटना भी बसंत पंचमी के दिन ही घटित हुई थी.
बसंत पंचमी का पर्व कैसे मनाया जाता है
बसंत पंचमी के पर्व की शुरुआत सुबह के स्नान से शुरू होती है. इसके बाद माता सरस्वती की पूजा अर्चना की जाती है. इस दिन पर पीले वस्त्र धारण किये जाते है. इसके आलावा इस पर्व को अलग अलग तरीके से मनाया जाता है, उत्तराखंड में इस पर्व पर जौ के पोधे के साथ गोबर को दरवाजे खिडकियों के कोनों में लगाया जाता है, खाने में मीठे चावल बनाये जाते है. पंजाब में इस पर्व पर पतंगबाजी कर मनाया जाता है, इसके आलावा इस दिन पर बहुत सी जगह पर मेले, भजन-कीर्तन, या कार्यक्रम का आयोजन किया जाता है.
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