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अपोलो ११ स्पेस मिशन – चन्द्रमा पर इन्सान भेजने का पहला मिशन

अपोलो ११ स्पेस मिशन / Apollo 11 Space Mission : आज से ठीक पचास साल पहले संयुक्त राज्य अमेरिका ने चन्द्रमा पर सबसे पहले इन्सान भेजने के मिशन में सफलता पाई थी, जिसमे तीन अन्तरिक्ष यात्री नील आर्मस्ट्रांग और ऐडविन ऐल्ड्रिन, माइकल कॉलिन्स को चन्द्रमा पर भेजा गया था, और इस मिशन को पूरा करने के लिए अपोलो 11 अन्तरिक्ष यान को उपयोग में लाया गया था।अपोलो ११ स्पेस मिशन Apollo 11 Space Mission

चन्द्रमा पर इंसान भेजने के लिए इस मिशन को अमेरिकी अन्तरिक्ष अनुसंधान संस्था “नासा “ की अहम भूमिका थी। 10 जुलाई 1969 को 20:17:39  पर चन्द्रमा पर अपोलो 11 ने सफल तीनो यात्रियों को लेकर पहुंचा, और नील आर्मस्ट्रांग को चन्द्रमा पर सबसे पहले पैर रखने वाले इन्सान की ख्याति प्राप्त हुई। यह मिसन अन्तरिक्ष अनुसधान और मानव इतिहास के लिए एक बड़ी उपलब्धि थी।

चन्द्रमा पर इन्सान भेजने के लिए उस समय अमेरिका को बहुत खर्चा करना पड़ा था, लेकिन अमेरिका के पास इस मिशन में इतनी जानकारी नहीं मिल पाई जो उसके काम आ सकती थी।

अपोलो ११ स्पेस मिशन / Apollo 11 Space Mission

16 जुलाई 1969 को फ्लोरिडा के कैनेडी स्पेस सेंटर से अपोलो 11 ने अपनी उड़ान भरी थी, इस अन्तरिक्ष यान में केवल तीन यात्री भेजे गए थे, जिसमे नील आर्मस्ट्रांग कमांडर, ऐल्ड्रिन लुनार माड्यूल पायलट और माइकल कॉलिन्स कमांड मॉड्युल पायलट थे।

चन्द्रमा की नजदीक पहुँच कर कॉलिन्स सर्विस मॉड्युल जिस पर सभी यात्रीयों को पृथ्वी पर वापस आना था, से चंद्र मॉड्यूल जिसे ईगल नाम दिया गया था से अलग हुआ।

चंद्र मॉड्यूल ईगल (Lunar module eagle) में नील आर्मस्ट्रांग और एडविन एल्ड्रिन थे जो रात की 1 बजकर 47 मिनट पर चन्द्रमा के शांति सागर मैदान (Sea of ​​tranquility) में उतरे थे। इस चंद्र मॉड्यूल ईगल (Lunar module eagle) पर केवल 2 लोग ही रह सकते थे। कॉलिन्स सर्विस मॉड्युल जिसकी देखरेख माइकल कॉलिन्स कर रहे थे, चंद्र मॉड्यूल ईगल (Lunar module eagle) उनसे लगभग 96 किलोमीटर दूर था।

चंद्रमा की सतह के रास्ते के साथ, आर्मस्ट्रांग और एल्ड्रिन ने पृथ्वी के साथ रेडियो संपर्क खो दिया, ऑनबोर्ड कंप्यूटर ने अपरिचित त्रुटि कोड दिखाए, और ईंधन कम हो गया था। उन्होंने 20 जुलाई, 1969 को “सी ऑफ ट्रानक्विलिटी” नाम से डब किए गए गड्ढे पर सुरक्षित लैंडिंग के लिए मॉड्यूल को सफलतापूर्वक चलाया।

चन्द्रमा की सतह पर सबसे पहले पैर रखने वाले नील आर्मस्ट्रांग ने कहा यहाँ की सतह बहुत कठोर है, आसपास बहुत बड़े पत्थर है, और यहाँ की मिटटी रेगिस्तान के जैसे है, एडविन एल्ड्रिन ने कहा हमारे सामने की चट्टानें बैंगनी रंग की दिख रही है, जो सूर्य के प्रकाश में चमक रही थी।

चंद्र मॉड्यूल ईगल के साथ 13 मिनट की इस यात्रा में चन्द्रमा पर 4 दिन तक रहते हुए नील आर्मस्ट्रांग और एडविन एल्ड्रिन ने चन्द्रमा पर मिटटी, चट्टान के नमूने लिए, 24 जुलाई को तीनो अन्तरिक्ष यात्री चाँद के नमूने जिसका कुल वजन 21.5 किलो था के साथ पृथ्वी पर प्रशांत महासागर में उतरे।

नासा के द्वारा चन्द्रमा पर इन्सान को भेजे जाने के लिए इस प्रोजेक्ट में कुल मिलाकर 400,000 लोगो की एक टीम ने इसमें काम किया जिसमे दुनिया भर के वैज्ञानिको के साथ अन्तरिक्ष में भेजे गए तीनो यात्री भी शामिल थे।

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