× Join Knowledge Hindi Me WhatsApp Channel  

Click Here

रामनवमी क्यों मनाया जाता है?

श्री रामनवमी क्यों मनाया जाता है : मार्च – अप्रैल के महीने में प्रतिवर्ष चैत्र मास की शुक्लपक्ष के 9वें दिन को रामनवमी का पर्व बड़ी धूमधाम के साथ पुरे भारत वर्ष में मनाया जाता है, इसके आलावा यह दिन चैत्र नवरात्री का अंतिम दिन भी होता है इस दिन माँ दुर्गा के नौ रूपों की पूजा के साथ नवरात्री के लिए व्रत भी रखा जाता है.ram navami kyo manai jati hai

भगवान् राम, भगवान् विष्णु के 9वें अवतार के रूप में संसार को पाप से मुक्ति दिलाने के लिए जन्म लिया था, और उन्होंने रावण के अत्याचारों को ख़त्म कर लोगो की रक्षा की थी व सनातन धर्म की पुनः स्थापना की थी. यह दिन भगवान् राम के जन्म से लेकर, रावण वध, व भगवान् राम और माता सीता के विवाह की सालगिरह के रूप में प्रसिद्ध है.

श्री रामनवमी क्यों मनाया जाता है : रामनवमी का इतिहास

इस दिन भगवान् राम का जन्म अयोध्या में राजा दशरथ और रानी कौशल्य के यहाँ हुआ था, और इनका जन्म भगवान विष्णु के अवतार के रूप में पृथ्वी में हुआ था, जिस कारण इनके जन्म दिन को रामनवमी के पर्व के रूप में मनाया जाने लगा. त्रेता युग में भगवान् राम ने रावण के अत्यचारों से पुरे विश्व को मुक्त करवाया था और संसार में शांति कायम की थी, इसके आलावा धर्म की पुन स्थापना भी की.

राम नवमी का महत्व

भारत में प्रत्येक हिन्दू के लिए रामनवमी का महत्त्व प्रमुख है, क्योंकि यह पर्व केवल आस्था ही नहीं बल्कि अपने जीवन को पाप से मुक्त करने में के लिए भी महत्वपूर्ण माना जाता है. इस दिन भगवान सूर्य की पूजा अर्चना भी की जाती है सूर्य भगवान् को भगवान् राम का पूर्वज माना जाता है, इस कारण रामनवमी के दिन भगवान् सूर्य की पूजा करने पर जीवन में सदैव शक्ति बनी रहती है.

राम नवमी का यह दिन सभी लोगो के लिए बुराई को दूर करने व दैवीय शक्तियों को प्राप्त करने के लिए अहम है.

रामनवमी कैसे मनाई जाती है.

रामनवमी पर्व में प्रातकाल स्नान करने के बाद भगवान् राम की पूजा अर्चना की जाती है, इसके साथ ही इस दिन पर व्रत रखने के साथ राम नवमी कथा, कीर्तन किये जाते है, इसके आलावा यह दिन माँ दुर्गा के नवरात्रे का 9वाँ दिन व अंतिम दिन भी होता है जिस कारण इस दिन पर माँ दुर्गा के 9वें रूप महागौरी की पूजा भी की जाती है.

भगवान राम की जन्म स्थाली अयोध्या में सरयू नदी के किनारे लोगो के द्वारा स्नान किया जाता है सूर्य भगवान को जल चढाने के बाद राम भगवान् की पूजा अर्चना की जाती है, इस दिन पर प्रसाद के रूप में खीर, फल आदि का भोग लगाया जाता है, इसके आलावा यह दिन माँ दुर्गा के नवरात्री के अंतिम दिन के रूप में इस दिन 9 कन्याओं को घर बुलाकर उनकी पूजा की जाती है व उन्हें भोजन व भेंट देकर विदा किया जाता है. इस दिन पर भक्तों के द्वारा व्रत रखा जाता है.

नवरात्री के दिन कन्याओं के चरण धोकर, उन्हें नवरात्री के प्रसाद में हलवा, चने, पूरी, गुलगुले, फल, आदि का भोग लगाया जाता है, इसके बाद उन्हें दक्षिणा देकर विदा किया जाता है.

रामनवमी के दिन ही तुलसीदास जी के द्वारा रामचरितमानस की रचना की शुरुआत की थी जो 2 साल, सात महीने, 26 दिन के बाद राम विवाह के दिन सवंत 1633 में पूरी हुई थी. रामचरित मानस में भी तुलसी दास जी के द्वारा, एक कृत लिखा गया था जिसमे वह कहते है की –

नवमी तिथि मधुमास पुनीता, सुकल पच्छ अभिजित हरिप्रीता
मध्य दिवस अति सित न घामा, पावन काल लोक बिश्रामा.

जिसका अर्थ है की पवित्र चैत्र का महीना था, नवमी तिथि थी। शुक्ल पक्ष और भगवान का प्रिय अभिजित मुहूर्त था। दोपहर का समय था। न बहुत सर्दी थी, न धूप (गरमी) थी। वह पवित्र समय सब लोकों को शांति देने वाला था। इस दिन ही भगवान् राम का जन्म हुआ था और उनके जन्म के साथ ही बुराई से लोगो को छुटकारा मिलने का योग बना.

2021 में रामनवमी कब है

2021 में रामनवमी को 21 अप्रैल यानि की बुधबार के दिन को मनाया जायेगा, नवमी 21 अप्रैल 2021 रात 00:43 बजे से शुरू होकर 22 अप्रैल 2021 को रात 00:35 बजे समाप्त होगी, राम नवमी का पूजा मुर्हत सुबह 11 बजकर 2 मिनट से दोपहर 1 बजाकर 38 मिनट रहेंगा

इसके आलावा यह दिन नवरात्री के 9वें और अंतिम दिन भी है जिस कारण इस दिन को मंदिरों में भक्तों की भीड़ भी देखने को मिलेगी, व इस दिन कन्याओं के पूजन का विधि विधान के साथ पूजा की जाएगी.

Leave a Comment