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मकर संक्रांति का वैज्ञानिक महत्व क्या है

Makar Sankranti in Hindi, मकर संक्रांति का वैज्ञानिक महत्व : मकर संक्रांति के त्यौहार को पुरे भारत वर्ष में बड़े हर्ष उलाश में साथ जनवरी माह में मनाया जाता है।  यह त्यौहार केवल भारत में ही नहीं विश्व के बहुत से देशो में भी मनाया जाता है। यह केवल धार्मिक त्यौहार ही नहीं है बल्कि इसको मनाये जाने के अनेको वैज्ञानिक कारण भी है।

मकर संक्रांति क्यों मनाया जाता है, Makar Sankranti in Hindi, कब मनाया जाता है, मकर संक्रांति का वैज्ञानिक महत्व, कैसे मनाया जाता है की पूरी जानकारी आपको यहाँ पर दी जाने वाली है। मकर सक्रांति के दिन से ही दिन बड़े और रातें छोटी होना शुरू हो जाती है क्योंकि सूर्य उतरी गोलार्ध की और चलना शुरू कर देता है।

Makar Sankranti in Hindi

मकर संक्रांति कब मनाई जाती है वैज्ञानिक महत्व

हिन्दू शास्त्रों के अनुसार जब सूर्य धनु राशी को छोड़कर मकर राशी में प्रवेश करता है तो एक राशी से इसे सक्रांति के नाम से जाना जाता है और सूर्य के मकर में प्रवेश करने के कारण इस दिन को मकर संक्रांति के रूप में मनाया जाता है।

मकर संक्रांति का प्रत्येक मानव के जीवन मे बहुत महत्त्व है, भारत में अलग अलग जगह पर मकर संक्रांति को अलग अलग नाम से जाना जाता है, लेकिन इस पर्व का महत्त्व सभी के लिए एक जैसा ही होता है।

मकर संक्रांति को मनाये जाने की पौराणिक मिथ

महाभारत में भीष्म पितामाह को इच्छा मृत्यु का वरदान प्राप्त था, लेकिन युद्ध के बाद जब वह बाणों की संया पर लेटे थे तो उन्होंने अपनी मृत्यु की प्रतीक्षा सूर्य के उतरायण में प्रवेश करने तक की और इस दिन को अपने प्राण त्यागने के लिए चुनाव किया।

एक मिथ के अनुसार भगवान शनि को मकर राशी का स्वामी माना जाता है और वह सूर्य भगवान के पुत्र थे और इसी दिन सूर्य भगवान अपने पुत्र शनि से मिलने के लिए उनके घर जाते थे जिस कारण इस दिन को मकर सक्रांति के रूप में मनाया जाने लगा।

इस दिन गंगा माया भागीरथी जी के तपस्या के फलस्वरूप पृथ्वी पर आई थी और भागीरथी ने के पूर्वजो को तर्पण कर सागर में जाकर मिली और इसकी कारण इस दिन पर गंगा सागर के मेले का आयोजन भी किया जाता है।

मकर संक्रांति का वैज्ञानिक महत्व

मकर संक्रांति के पर्व को मनाए जाने के पीछे एक नहीं बल्कि अनेकों वैज्ञानिक कारण है यह पर्व केवल एक धार्मिक पर्व नहीं है बल्कि इसका मानव के जीवन में बहुत महत्वपूर्ण योगदान है और जो की हमारे जीवन के लिए फायदेमंद है।

मकर संक्रांति के दिन नदियों में स्नान किया जाता है और इसके पीछे वैज्ञानिक कारण है कि नदियों में वाष्पन की क्रिया होती है और इस समय नदियों में स्नान करने से शरीर में बहुत से रोगों को दूर किया जा सकता है।

मकर संक्रांति के समय ठण्ड का मौसम होता है और इस दिन तिल व गुड़ के व्यंजन का उपयोग किया जाता है और वैज्ञानिक दृष्टि से देखा जाए तो इस दिन तिल और गुड़ खाने से हमारे शरीर को एक ऊर्जा मिलती है जो इस ठंड के मौसम में हमारे शरीर को एक ऊर्जा प्रदान करती है।

मकर संक्राति के दिन खिचड़ी बनाई जाती है और मकर संक्रांति का वैज्ञानिक महत्व की दृष्टि से देखें तो खिचड़ी किसी भी बीमार व्यक्ति की प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने में मदद करती है।

मकर संक्रांति के दिन सूर्य दक्षिणायन से उत्तरायण में प्रवेश करता है और केवल धार्मिक आधार पर ही नहीं बल्कि विज्ञान भी यह मानता है कि सूर्य के उत्तरायण स्थिति बहुत अधिक महत्वपूर्ण होती है क्योंकि सूर्य के उत्तरायण में होने से दिन बड़ा होता है इस दिन प्रकाश में वृद्धि होने के कारण मनुष्य की शक्ति में भी वृद्धि होती है और कार्यक्षमता बढ़ती है जिससे मनुष्य प्रगति की ओर अग्रसर होता है।

मकर संक्रांति कब मनाई जाती है

मकर सक्रांति को प्रतिवर्ष जनवरी माह में ही मनाया जाता है और ज्यादातर यह पर्व जनवरी माह में 14 तारीख को ही मनाया जाता है लेकिन इस साल मकर संक्रांति 14 जनवरी 2023 को रात 08 बजकर 43 मिनट पर होगी. मकर संक्रांति का पुण्य काल मुहूर्त 15 जनवरी को सुबह 06 बजकर 47 मिनट पर शुरू होगा और इसका समापन शाम 05 बजकर 40 मिनट पर होगा. वहीं, महापुण्य काल सुबह 07 बजकर 15 मिनट से सुबह 09 बजकर 06 मिनट तक रहेगा.

मकर संक्रांति कैसे मनाई जाती है

इस दिन पर किसी पवित्र नदी में स्नान करने के बाद भगवान की पूजा अर्चना की जाती है, भोग में तिल, गुड के लाडू को बनाया जाता है, और इस पर्व पर खिचड़ी का भोग भी लगाया जाता है. अलग अलग जगह में इस पर्व को मनाये जाने के अलग अलग कारण है बहुत सी जगह पर इस पर्व में पतंग उड़ाई जाती है, जबकि उत्तराखंड में इस पर्व को खिचड़ी बनाकर मनाया जाता है।

मकर संक्रांति का महत्व क्या है

मकर संक्रांति के दिन को सूर्य दक्षिणायन से उतरायण में प्रवेश करता है. शास्त्रों में सूर्य के उतरायण को देवताओं के दिन के रूप में जाना जाता है जो एक सकारात्मक रूप है, जिस कारण इस दिन पर व्रत, स्नान मंदिरों में पूजा अर्चना की जाती है और अपने दिन को शुभ बनाया जाता है. मकर संक्रांति के दिन ही किसान अपने फसल को कटना शुभ मानते है।

मकर संक्रांति को कहाँ क्या कहते हैं

मकर संक्रांति का पर्व सभी के लिए एक महत्वपूर्ण स्थान रखता है. यह त्यौहार पुरे भारत वर्ष में मनाया जाता है लेकिन इसे अलग अलग नाम से जाना जाता है. आंध्रप्रदेश, कर्नाटक, केरल में इस पर्व को मकर संक्रमामा नाम से, तमिलनाडु में पोंगल, उत्तरप्रदेश और पश्चिमी बिहार में खिचड़ी पर्व, बंगाल में इस दिन को गंगा सागर मेले का आयोजन, गुजराज और राजस्थान में उतरायण, हिमांचल हरियाणा में मगही, पंजाब में लोहड़ी, कश्मीर में शिशुर सेंक्रांत के नाम से जाना जाता है।

भारत में आलावा नेपाल, थाईलैंड, म्यांमार में भी मकर संक्रांति का पर्व मनाया जाता है. नेपाल में मकर संक्रांति को माघी, माघे संक्रांति, सुर्योतरायण आदि नाम से जाना जाता है।

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