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भारतीय वायु सेना का Air Strike : जानिए क्या होता था पाकिस्तान के बालाकोट, चकौठी और मुजफ्फराबाद में

भारतीय वायु सेना का Air Strike, indian air force air strike in hindi : पाकिस्तान के आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद के आतंकियों के द्वारा भारत की सेना पर आतंकी हमला करने से देश के 40 वीर शहीद हो गए थे और तब से लेकर सरकार, सेना और भारतीय जनता आक्रोश में थी और सभी का यह कहना था की आखिर कब तक इस तरह से हमारे जवान अपनी कुर्वानी देते रहेंगे.

पुलवामा में हुए इस हमले का बदला भारतीय वायुसेना ने ले लिया जिसमे भारतीय वायु सेना के द्वारा पाकिस्तान स्थित बालाकोट, मुजफ्फराबाद, चकौठी में चल रहे आतंकी कैम्पों में रह रहे बड़े-बड़े आतंकियों को खत्म कर उनके लांच पैड को निशाना बनाया गया. वायु सेना के द्वारा की गयी इस करवाई में 350 से भी अधिक आतंकी मारे गए. जो भारतीयों के लिए एक खुशखबरी है.

क्या होता था पाकिस्तान के इन सभी इलाकों में

पाकिस्तान के खैबर पख्तुन्ख्वा प्रांत के मानशेरा जिले में स्थित बालाकोट में आतंकियों का शिविर बालाकोट शहर से 20 km की दुरी पर घने जंगलों में स्थित था, इस क्षेत्र को आतंकियों की फेक्टरी माना जाता है. आतंकियों के इस कमांड केंद्र के आलावा दो अन्य कमांड केद्र मुजफ्फराबाद और चकौठी में भी आतंकियों के कैम्प थे. ख़ुफ़िया जानकारी के अनुसार इन तीनो जगह पर आतंकियों का प्रमुख लांच पैड था जहाँ पर आतंकियों को ट्रेनिंग दी जाती थी.

इन सभी इलाकों में जैश-ए-मोहम्मद के आलावा भी बहुत से आतंकी संगठन के कैम्प भी चलाये जाते थे. सेना के इस मिशन में जैश-ए-मोहम्मद के आतंकी, ट्रेनर, कमांडर सभी मारे गए है. मानशेरा जिला जो यहाँ के प्रधानमंत्री इमरान खान का भी अपना गृह राज्य है और यही जैश-ए-मोहम्मद का प्रमुख मसूद अजहर भी 2001 में रहा करता था.indan air force air strike

भारतीय वायु सेना का Air Strike

पाकिस्तान पर हमला करने के लिए भारत को केवल हमले की ही तैयारी नहीं बल्कि यदि पाकिस्तान के द्वारा कोई पलटवार किया जाता तो इससे निपटने की तैयारी भी पहले से ही की गयी थी. भारत के 12, मिराज 2000 फाइटर जेट के द्वारा दुश्मन पर 1000 किलों तक के बम गिराए गए. इन सभी 12 विमान ने ग्वालियर से अपनी उड़ान भरी थी.

यह सभी फाइटर विमान आधुनिक हथियार से लैश थे जिसमे GBU-12 लेजर गाइडेड अमेरिकी बम जो जीपीएस प्रणाली से लैश होता है और यह बम लक्ष्य को भेदने के बाद फाड़ता है, अपने लक्ष्य से टकराने के बाद केवल 1 मीटर की दुरी तक ही छिटक सकता है जिससे इससे एक सटीक लक्ष्य लग पता है.

इसके आलावा फ्रांसिसी मैत्रा मैजिक मिसाइल जिन्हें जेट के डैनो में लगाया जाता है जो विमान से अलग होने के बाद अपनी प्रतिक्रिया करता है और सटीक लक्ष्य पर लग लक्ष्य को तबाह कर सकती है, यह मिसाइल 300 मीटर से लेकर 15 किलोमीटर तक के इलाके को तबाह कर सकती है. इन सभी विमान में इंधन भरने के लिए ILYUSHIN-78M जहाज को आगरा से बुलाया गया था. इसके साथ ही HERON ड्रोन को एलओसी पर सर्विलांस के लिए उपयोग किया गया.

भारतीय वायुसेना के द्वारा की गयी इस करवाई को करने के लिए जिस मिराज 2000 फाइटर जेट की सहायता ली गयी वह एक आधुनिक तकनीक से लेश थे जो दुश्मन के इलाके को तबाह करने के बाद वापस आया. वायुसेना का यह विमान AWACS (Airborne Warning And Control System ) प्रणाली से जुड़ा हुआ था.

AWACS (Airborne Warning And Control System ) क्या है

खासतौर पर युद्ध के लिए विकसित की गयी हवा चेतावनी और नियंत्रण तकनीक (Airborne Warning And Control System ) का उपयोग लड़ाकू विमान को उनके टारगेट की पहचान करने और उन्हें तबाह करने, फाइटर विमान को हवाई क्षेत्र की जानकारी देने के साथ साथ उन्हें कमांड देने के लिए उपयोग किया जाता है. यह सिस्टम 400 km दूर से ही हवा में होने वाली किसी भी प्रकार की गतिविधियों पर नजर रख सकता है.

AWACS तकनीक का उपयोग केवल टारगेट पर नजर रखने ही नहीं बल्कि यह किसी हवाई हमले से बचने में भी मदद करता है. इसकी नजर से किसी भी विमान या मिसाइल को आसानी से डिटेक्ट किया जा सकता है और उसके खिलाप करवाई भी की जा सकती है. इस तकनीक से लैश किसी भी विमान को ट्रैक नहीं किया जा सकता है. AWACS तकनीक से लैश सभी विमान 30 हजार फिट तक की ऊंचाई तक उड़ सकते है.

मिराज 2000 फाइटर जेट जानिए इसकी ताकत

भारतीय वायुसेना के मिराज 2000 फाइटर जेट की सहायता से एयर स्ट्राइक किया गया. जिसने पाकिस्तान में स्थित आतंकी ठिकानों पर 1000 किलों के बम गिराकर आतंकियों के ठिकाने तबाह किया तो चलिए जानते है मिराज 2000 फाइटर जेट कितना ताकतवर है-

  • मिराज 2000 फाइटर जेट का निर्माण फ्रासं की डसॉल्ट कंपनी के द्वारा किया गया है.
  • इस फाइटर विमान को मिसाइल के साथ साथ फायरिंग गन से भी लेश किया जा सकता है इसमें इसी तरह 9 पॉइंट दिए गए है जहाँ विपन सिस्टम को लगाया जा सकता है.
  • इस विमान के विंग में भी हथियारों को लगाया जा सकता है.
  • इस विमान का उपयोग हवा से हवा और हवा से जमीन दोनों स्थिति में वार करने के लिए किया जा सकता है.
  • इस विमान की सहायता से लेजर गॉइड बम को भी गिराया जा सकता है.
  • इस विमान की खासियत यह भी है की यह 24 टारगेट को एक साथ पहचान सकता है.

मिशन में किया गया AWACS एयरक्राफ्ट का उपयोग

AWACS हवा चेतावनी और नियंत्रण तकनीक (Airborne Warning And Control System ) से लैश विमान जिस पर रडार लगा होता है को भी पंजाब के बठिंडा से भेजा गया था. यह विमान दुश्मन के विमान या मिसाइल या कुछ भी खतरे की जानकारी और सभी विमानों की आपसी दुरी की जानकारी देता है. यह विमान 3 लाख वर्ग किलोमीटर तक के क्षेत्र पर नजर रखना है. इस विमान के द्वारा दुश्मन की सभी प्रतिक्रियाओं पर नजर रखी जा सकती है.

LYUSHIN-78M विमान का उपयोग

जम्मू कश्मीर स्थित एयरबेस पर पाकिस्तान नजर रख रहा था जिस कारण विमान को ग्वालियर से रवाना करना पड़ा. इतनी दूर से इन विमानों को उड़ाने के कारण ईधन की अधिक जरूरत थी जिससे दुश्मन की सीमा पर जाने के बाद विमान में ईधन को लेकर कोई समस्या का सामना ना करना पड़े और इसके लिए आगरा से ILYUSHIN-78M विमान को ईधन की कमी को पूरा करने के लिए भेजा गया. जिसने फाइटर जेट को हवा में ही ईधन उपलब्ध करवाया.

HERON ड्रोन

सेना जिस इलाके में दाखिला ले रही थी वह उनके लिए एक अज्ञात इलाका था और इस लिए HERON ड्रोन की सहायता से आतंकी ठिकाने  की वास्तविक स्थिति का पता लगाने के लिए इन ड्रोन की सहायता ली गयी. इनसे pok में आतंकियों की गतिविधियों पर नजर रखी जा रही थी. इन ड्रोन का निर्माण इजरायल एरोस्पेस इंडस्ट्रीज के द्वारा किया गया था जो 10 km तक की ऊंचाई पर लगातार 52 घंटों तक उड़ सकते है.

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