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Golu Devata Temple uttarakhand – यहाँ लिखा जाता है भागवान को पत्र


Golu Devata Temple uttarakhand  : Uttarakhand  के अल्मोड़ा में चेतई नामक स्थान पर Golu Devata का Temple है और इस मंदिर में यदि कोई जाता है तो उसको अपनी मनोकामना को पूरी करने के लिए भगवान् को एक चिठ्ठी लिखनी होती है.

यह मंदिर लोगो को तुरन्त न्याय दिलाने के लिए काफी प्रसिद्ध है. इसी वजह से इन्हें न्याय का देवता भी कहा जाता है.

इस मंदिर में यदि कोई न्याय पाने के लिए जाता है तो उसको एक पत्र लिखना होता है और उसके बाद उस पत्र को मंदिर के पुजारी के द्वारा पढ़ा जाता है और पढने के बाद उस पत्र को मंदिर में टांग दिया जाता है. और उसकी मनोकामना बहुत जल्दी पूरी हो जाती है.

यहाँ कई भक्त सरकारी स्टाम्प पेपर पर भी अपनी मनोकामना लिखते है यह मंदिर केवल उत्तराखंड में ही प्रसिद्ध नहीं बल्कि पुरे विश्व में भी प्रसिद्ध है.

गोलू देवता मंदिर uttarakhand  - यहाँ लिखा जाता है भागवान को पत्र

गोलू देवता की कहानी


बहुत पहले चम्पावत में राजा झालरॉय राज्य करते थे उनकी सात रानियाँ थी. लेकिन उनमे से किसी की भी संतान नहीं थी. एक बार राजा जंगल में शिकार के लिए जाते है और वह जंगल में देखते है की एक लड़की दो सांडो की लड़ाई को छुडवा रही थी. यह देख राजा को प्रसंता हुई.
उस लड़की का नाम कलिंका था और वह रिखेशर की पुत्री थी और इसके बाद राजा ने रिखेशर में सामने कलिंका से शादी करने का प्रस्ताव रखा जिसे रिखेशर ने स्वीकार कर लिया.

इसके बाद जब कलिंका माँ बनने वाली थी तो सातों रानियों ने सोचा की यदि इस बच्चे का जन्म हुआ तो फिर राजा हमारी और ध्यान नहीं देंगे इसलिए उन्होंने उस बच्चे को मरने का सोचा और उस बच्चे को बकरियों के वीच कुचलने के लिए छोड़ दिया लेकिन वह बच गया इसके बाद उन्होंने उसे एक बक्से में रखकर ताला लगाकर काली नदी में डाल दिया और कलिंका के सामने एक पत्थर रख कर ये कहा की तुमने एक पत्थर को जन्म दिया है जिस बक्शे में बच्चा बंद था तो वह एक मछुवारे के हाथ लगा और उसने जब बक्शा खोला तो देखा उसमे एक बच्चा था और उसने उस बच्चे का पालन पोषण किया. और उसका नाम गोरिया रख दिया.

इसके बाद जब गोरिया बड़ा हुआ तो उसने अपने पिता से चम्पावत जाने की जिद की और जाने के लिये एक घोडा माँगा उसके पिता ने सोचा की यह मजाक कर रहा है और उन्होंने उसे एक लकड़ी का घोडा दिया लेकिन वह तो भगवान् का ही एक रूप थे तो वह उसी धोड़े पर चम्पावत पहुँच गये.

कलिंका और सातों महारानी एक तालाब में नहाने के लिए जा रही तो उन्होंने देखा की वह लड़का लकड़ी के घोड़े को पानी पिला रहा था तो इस पर रानियों ने कहा की यह कैंसा मुर्ख लड़का है जो लकड़ी के घोड़े को पानी पिला रहा है तो इस पर वह लड़का बोला जब रानी कलिंका एक पत्थर को जन्म दे सकती है तो क्या एक लकड़ी का धोड़ा पानी नहीं पी सकता. यह सुनकर रानियाँ आशचर्यचकित हो गई. कलिंका समझ गई यह मेरा बेटा है.

इसके बाद यह बात हर जगह फैल गई. और राजा ने सातों रानियों को फांसी की सजा सुना दी. और उस बालक को राजा घोषित कर दिया.

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