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लछु महाराज का जीवन परिचय हिंदी में – Lachhu Maharaj Biography In Hindi

Lachhu Maharaj Biography in Hindi : लखनऊ के कत्थक / Kathak नर्तक पडिंत लछु महाराज एक कोरियोग्राफर और महान भारतीय शास्त्रीय नर्तक और तबलावादक थे. लछु महाराज का जीवन परिचय हिंदी में - Lachhu Maharaj Biography In Hindi

भारतीय फिल्म अभिनेता गोविंदा इनके भांजे थे और गोविंदा को भी इन्होने ही तबला बजाना सिखाया था. लछु महाराज बॉलीवुड फ़िल्मों में भी तबला बजाया करते थे. इन्होने हिंदी सिनेमा मुगल-ए-आज़म (1960) और पेकेज़ाह (1972) में भी काम किया था.

लछु महाराज का जीवन परिचय हिंदी में / Lachhu Maharaj Biography in Hindi

लछु महाराज का जन्म 16 अक्टूबर 1944 को उत्तर प्रदेश के प्रसिद्ध शहर बनारस में हुआ था. इनका वास्तविक नाम  लक्ष्मी नारायण सिंह था. इनके पिता का नाम वासुदेव महाराज था. इनके परिवार में कुल मिलाकर 12 भाई बहन थे जिनमे इनका चौंथा नंबर था.

लखु महाराज ने तबला बजाने का प्रशिक्षण अवध के नवाब के पंडित बिददीन महाराज और अपने चाचा से 10 वर्षों तक लिया था. तबला बजाने के आलावा इन्होने भारतीय शास्त्रीय मुखर संगीत का भी प्रशिक्षण लिया था. जब लछु महाराज 8 वर्ष के थे तो तब ये तबला बजाने किसी कार्यक्रम से मुंबई गए थे तब इनके तबला बजाने पर प्रसिद्ध तबलावादक अहमद जान ने कहा था की काश लछु मेरा बेटा होता.

लछु महाराज का विवाह फ्रांसीसी महिला टीना से हुआ जिससे इनकी एक पुत्री हुई. इस समय उनकी पत्नी और बेटी स्विट्जरलैंड में रहती है. इन्हें अपने मस्तमौला अंदाज के लिए जाने जाते थे क्योंकि जब इनका मन होता था तो ये तबला बजाते थे और मन नहीं तो तबला नहीं बजाते थे.

इनके बारे में यह भी कहा जाता है की एक बार कत्थक निर्तकी सितारा देवी के साथ उनके एक कार्यक्रम के दौरान उनका तबला वादक नहीं आया तो इस पर लछु महाराज को तबला बजाने के लिए बुलाया गया, तो इस पर सितारा देवी ने इनको देखकर कहा की यह बच्चा क्या बजाएगा और इसके बाद जब कार्यक्रम शुरू हुआ तो कुछ मिनटों तक चलने वाला कार्यक्रम कई घंटो तक चला, और इसी तरह यह कार्यक्रम नॉन स्टॉप चलता रहा अगर सितारा देवी के पैर में चोट ना लगती तो. इसके बाद सितारा देवी ने लछु महाराज को गले लगा लिया था.

सम्मान

यूपी सरकार की ओर् से इन्हें पद्मश्री से सम्मानित किया जा रहा था लेकिन इन्होने यह कह कर माना कर दिया था की एक कलाकार को पुरुस्कार की आवश्यकता नहीं होती है क्योंकि इनका मानना था की एक कलाकार का पुरुस्कार श्रोताओं की वाहवाह और तालियां होती है. इसके बाद यह सम्मान इनके शिष्य पंडित छनु लाल मिस्र को दिया गया.

निधन

पंडित लछु महाराज का निधन 73 वर्ष की उम्र में 27 जुलाई 2016 को हार्ट अटेक के कारण हुआ इनका अंतिम संस्कार बनारस के मणिकर्णिका घाट पर किया गया.

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