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नवरात्रि पर्व मनाने के पीछे वैज्ञानिक कारण क्या है ?

नवरात्रि के पीछे वैज्ञानिक कारण – नवरात्रि संस्कृत भाषा का एक शब्द है जिसका हिंदी में अर्थ है – नौ रातें। नवरात्रि हिन्दुओं के द्वारा मनाया जाने वाला एक प्रमुख त्यौहार है। इस पर्व में माँ दुर्गा के नौ अवतारों की नौ दिनों तक पूजा की जाती है। माँ दुर्गा को शक्ति का प्रतीक माना जाता है। नवरात्रि के 10वें दिन को दशहरा के रूप में मनाया जाता है और इसके ठीक 20 दिन बाद दिवाली का पर्व मनाया जाता है।

नवरात्रि के पीछे वैज्ञानिक कारण

नवरात्रि की जानकारी हिंदी में : Navratri Information In Hindi

देश के प्रत्येक हिस्से में नवरात्रि के त्यौहार को मनाया जाता है लेकिन इसे अलग अलग नाम से जाना जाता है, गुजरात, मुंबई में इस पर्व को डंडिया और गरवा, पंजाब में इसे नवरात्रा, तेलंगाना में बठुकम्मा के नाम से मनाया जाता है।

माँ दुर्गा के नौ अवतार नवरात्रि का पर्व का दुर्गा के नौ अवतारों की पूजा के लिए शुभ माना जाता है, और माता के इन सभी रूपों की पूजा करने से सुख और शांति की प्राप्ति होती है तो चलिए जानते है माँ दुर्गा के नौ अवतारों के बारे में जिनकी नवरात्रि में पूजा की जाती है-

1. शैलपुत्री

नवरात्रि के पहले दिन माँ शैलपुत्री की पूजा की जाती है. शैल का अर्थ होता है पर्वत. पुराणों के अनुसार माँ शैलपुत्री को पर्वत की पुत्री के रूप में जाना जाता है. माँ दुर्गा के इस अवतार जन्म सती के रूप में हुआ था इस अवतार में माँ शैलपुत्री वृषव पर विराजमान है और माँ अपने दाये हाथ में त्रिशूल और बाएं हाथ में कमल धारण किये है।

2. ब्रह्मचारिणी

नवरात्रि के दुसरे दिन माँ दुर्गा के ब्रह्मचारिणी अवतार की पूजा की जाती है. इसमें ब्रह्मा का अर्थ तप से है. माँ के इस रूप को शिव भगवान की कठोर तपस्या करने के लिए जाना जाता है. माँ ब्रह्मचरिणी के रूप का वर्णन किया जाये तो वह अपने बाये हाथ में कमंडल और दायें हाथ में माला धारण किये है।

3. चंद्रघंटा

नवरात्रि के तीसरे दिन माँ चन्द्रघंटा की पूजा की जाती है, चन्द्र के जैसे चमक होने के कारण इन्हें चन्द्रघंटा कहा जाता है, शेर पर सवार माता को शेरोवाली माँ भी कहा जाता है माता अपने इस रूप में अपने 10 हाथो में शस्त्र लिए है माता के इस रूप की पूजा वैष्णो देवी मंदिर में भी की जाती है।

4. कुष्मांडा

नवरात्रि के चोथे दिन माँ कुष्मांडा की पूजा की जाती है माँ दुर्गा के इस चोथे अवतार को ब्रह्माण्ड को अपने पैर पर रखने के कारण जाना जाता है. माता अपने इस रूप में अपने 8 हाथो में कमल, तीर, धनुष, कमंडल, चक्र, गद्दा, माला और कलश धारण किये है।

5. स्कंदमाता

नवरात्रि के पाचवें दिन माँ दुर्गा के पाचवें अवतार माँ स्कंदमाता की पूजा की जाती है, भगवान् शिव और माता पार्वती के पुत्र कार्तिकेय को भगवान् स्कंद के रूप में भी जाना जाता है भगवान् स्कंद की माता होने के कारण माता के इस रूप को स्कन्द माता कहा जाता है. स्कंदमाता के इस रूप में माता अपने हाथ में कमल का पुष्प और वरमुद्रा धारण किये है।

6. कात्यायनी

नवरात्रि के छठे दिन माता कात्यायनी की पूजा की जाती है. महर्षि कात्यायन की कठोर तपस्या से प्रशन्न होकर माँ दुर्गा ने माता कात्यायनी के रूप में महर्षि कात्यायन के घर पुत्री के रूप में जन्म लिया था. कोई भी लकड़ी यदि सच्चे मन से माता कात्यायनी की पूजा करती है तो इससे विवाह में बिलंब होने जैसे बाधा दूर होती है. माता अपने इस रूप में सिंह पर सवार अपने हाथ में कमल का पुष्प, तलवार धारण किया है।

7. कालरात्रि

नवरात्रि के सातवें दिन माँ दुर्गा के सातवें अवतार माता कालरात्रि की पूजा की जाती है. पृथ्वी में पाप को फैलने और बुरी शक्तियों से बचाने के लिए माता ने कालरात्रि के रूप में जन्म लिया था. माता के इस रूप ने ही असुरों के राजा रक्तबीज का बध किया था।

माता का यह रूप गले में बिधुत माला धारण किये, बाल फैले हुए, गधे पर विराजमान, अपने दाये दो हाथों में सस्त्र और बाये दो हाथ वरमुद्रा और अभय मुद्रा में बिराजमान है।

8. महागौरी

माँ दुर्गा के आठवें अवतार महागौरी की पूजा नवरात्रि के आठवें दिन पर की जाती है. महागौरी के रूप में माता के दाहिने उपरी हाथ पर अभय मुद्रा, निचले हाथ पर त्रिशूल है, बाये ओर ऊपरी हाथ पर वरमुद्रा और निचले हाथ पर डमरू है. माता महागौरी की पूजा करने वाले के कष्ट दूर होते है।

9. सिद्धिदात्री

नवरात्रि के नवें दिन माँ दुर्गा के नवें अवतार माँ सिद्धिदात्री की पूजा की जाती है. कमल पर विराजमान माँ सिद्धिदात्री दाहिनी ओर के उपरी हाथ में चक्र निचले हाथ में गदा और बाएं ओर उपरी हाथ में शंख और निचले हाथ में कमल है।

भगवान् शिव का अर्धनारीश्वर नाम भी माँ सिद्धिदात्री के कारण ही पड़ा था क्योंकि माँ सिद्धिदात्री की कृपा से ही भगवान्भ शिव को तमाम सिद्धियां प्राप्त हुई थी।

नवरात्रि की शुरुआत कैसे हुई?

वैसे तो नवरात्रि मनाये जाने की बहुत सी पौराणिक कथाएं है लेकिन जिन दो प्रचलित कथाओं का वर्णन अधिक मिलता है उनमे से पहली कथा के अनुसार महिसासुर नाम का एक राक्षस था जिसने अपने तपश्या से ब्रह्मा जी को प्रशन कर उनसे यह बरदान माँगा था की कोई भी देव, दानव या धरती पर रहने वाला मनुष्य मेरा बध ना कर सके

ब्रह्मा जी से इस तरह का बरदान पाने के बाद महिसासुर से अत्याचार और आतंक मचाना शुरू कर दिया, देवताओं के साथ साथ स्वय ब्रह्मा विष्णु महेश भी उसे हरा पाने में असर्मथ थे

महिसासुर के अत्याचारों से सभी को मुक्ति दिलाने सभी देवताओं ने अपनी अपनी शक्ति मिलाकर माँ दुर्गा को अवतरित किया, माँ दुर्गा और महिसासुर के बिच एक घमासान युद्ध हुआ जो की 9 दिन तक चला, 10वें दिन माँ दुर्गा ने महिसासुर का बध कर उसके अत्याचार से सभी को बचाया

दूसरी कथा के अनुसार जब भगवान राम लंका पर आक्रमण करने जा रहे थे तो युद्ध से पहले भगवन राम ने माता की पूजा अर्चना 9 दिन तक की और फिर दसवें दिन उन्होंने लंका पर आक्रमण किया और विजयी हुए, और इसी बजह से 10वें दिन को विजय दशमी का पर्व मनाया जाता है।

नवरात्रि के पीछे वैज्ञानिक कारण

हिन्दू धर्म में मनाये जाने वाले नवरात्रि पर्व को मनाये जाने का कारण केवल यह नहीं है की यह किसी धर्म से जुड़ा है बल्कि नवरात्रि के पीछे वैज्ञानिक कारण भी मौजूद है।

एक साल में चार नवरात्री आती है लेकिन बसंत ऋतू और शरद ऋतू में पड़ने वाली नवरात्री को अधिक महत्वपूर्ण माना जाता है जिसका कारण यह है की जब भी बसंत ऋतू और शरद ऋतू की शुरुआत होती है तो इस मौसम में परिवर्तन होना भी शुरू हो जाता है, जिस कारण रोगाणु बढ़ने की सम्भावना भी होती है।

रोगाणुओं के बढ़ने से शरीर में बीमारियाँ बढ़ने का खतरा भी अधिक हो जाता है, और इससे स्वास्थ्य से लेकर मानसिकता पर भी इसका बुरा असर पढ़ सकता है, लेकिन नवरात्री के इस पर्व में हवन, उपवास आदि की सहायता से रोगाणुओं को नष्ट कर दिया जाता है, जिससे हमारा शरीर शारीरिक और मानशिक रूप से स्वस्थ रहता है।

नवरात्रि पूजा के लिए आवश्यक सामग्री

नवरात्रि के इस पर्व पर माँ दुर्गा के नौ रूपों की पूजा करने के लिए अक्षत, तिलक, सुपारी, फल, कलश, फल, चढावा, भोग, गंगा जल की आश्यकता होती है.

नवरात्रि मनाया जाने का विधि-विधान

नवरात्रि में माता के नौ अवतारों की नौ दिनों तक पूजा की जाती है, जिसे सफल बनाने के लिए सातवें दिन से लेकर नवें दिन के बिच कभी भी नौ कन्याओं को घर में बुलाकर उनकी पूजा की जाती है इन कन्याओं की पूजा के बाद इन्हें भोग कराया जाता है और इन्हें दक्षिणा भी दी जाती है।

नवरात्रि साल में कितनी बार आती है

देवी भगवत पुराण के अनुसार एक साल में चार नवरात्रि आती है साल की पहली नवरात्रि चैत्र माह में आती है दूसरी नवरात्रि अषाढ़ माह में आती है, तीसरी नवरात्रि अश्विन माह में आती है, चौंथी नवरात्रि माघ महीने में आती है।

अषाढ़ माह और माघ महीने की नवरात्रि गुप्त होती है जो की साल की दूसरी और चौंथी नवरात्रि होती है, इसके आलावा चैत्र नवरात्रि और आश्विन नवरात्रि जिन्हें की बसंत और शरद नवरात्रि के नाम से जाना जाता है प्रमुख नवरात्रि है।

नवरात्रि कैसे मनाई जाती है

नवरात्रि में माँ दुर्गा के नौ अलग अलग रूपों की पूजा नौ दिन तक की जाती है, इन नौ दिनों में उपवास भी रखा जाता है साथ ही यग्य हवन कर बुरी शक्तियों का नाश किया जाता है

नवरात्रि कब है

इस साल नवरात्रि का पर्व 7 अक्टूबर से शुरू होकर 15 अक्टूबर तक होगा इसके बाद 15 अक्टूबर को दशहरा यानि की विजयदशमी का त्यौहार मनाया जायेगा , इसके ठीक 20 दिन बाद दीपावली का पर्व मनाया जायेगा।

(नवरात्रि के पीछे वैज्ञानिक कारण)

1 thought on “नवरात्रि पर्व मनाने के पीछे वैज्ञानिक कारण क्या है ?”

  1. मुझे आज नवरात्रो के बारे मैं पूरी जानकारी मिली हैं आपकी ब्लॉग को पढ़ने से पहले मुझे ये नहीं पता था के नो देव्या कौन सी हैं और क्यों हम नवरात्रे मनाते हैं. इसी तरहा से ब्लॉग शेयर करते रहे.

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