Uttarakhand History in Hindi : भारत के उत्तर दिशा में स्थित उत्तराखंड नेपाल और चीन की सीमा से लगा है, यह हमेशा से ही पर्यटकों, राजाओं, और तपस्वियों का ध्यान केन्द्रित करने वाला स्थान रहा है क्योंकि उत्तराखंड का 88 % भू-भाग पर्वतीय इलाके में स्थित है जिस कारण यहाँ सुन्दर दृश्य, स्थान, घास के मैदान और बर्फीली पहाड़ी भी स्थित है।पुराणों में उत्तराखंड को देव भूमि के नाम से जाना जाता था। यहाँ कई ऐंसे स्थान है जिन्हें देखकर प्रकृति के दर्शन किये जा सकते है। उत्तराखंड में कैम्पिंग, स्कीइंग, ट्रैकिंग, राफ्टिंग, पैराग्लाइडिंग वाइल्डलाइफ सफारी के लिए भी प्रसिद्ध जगह है।
उत्तराखंड राज्य का संक्षिप्त वर्णन
- राज्य का गठन – 9 नवम्बर
- शीतकालीन राजधानी – देहरादून
- ग्रीष्म कालीन राजधानी – गैरसैण
- क्षेत्रफल – 53,483 km²
- जनसंख्या – 1.01 करोड़ (2012 के अनुसार)
- मंडल – गढ़वाल मंडल, कुमाऊ मंडल, गैरसैण मंडल
- जिले – 13
- भाषा – गढ़वाली, कुमाउनी
- मुख्यमंत्री- श्री पुष्कर सिंह धामी
- राज्यपाल – गुरमीत सिंह
- वेशभूषा – परुष – सर पर टोपी, कुरता पैजामा, महिला -घाघरा, आंगडी (लेकिन इनका चलन अब कम हो गया है)
- प्रमुख फसल – चावल, गेहूं,
- खान-पान – कफली साग, झंगोरा बाड़ी, पिनालु सब्जी, मंडुआ (कोदा) रोटी
- राज्य पशु – कस्तूरी मृग
- राजकीय पक्षी – मोनाल
- राजकीय वृक्ष – बुरांश
- राजकीय पुष्प – ब्रह्मकमल
उत्तराखंड का इतिहास – Uttarakhand History in Hindi
उत्तराखंड का इतिहास (History Of Uttarakhand) भी भारत के इतिहास के जितना ही प्राचीन है क्योंकि इसका वर्णन ऋग्वेद, के आलावा महाभारत और पुराणों में भी मिलता है। प्राचीन काल में उत्तराखंड के गढ़वाल क्षेत्र को “केदारखंड” और कुमाऊ क्षेत्र को “मानसखंड” के नाम से जाना जाता था।
उत्तराखंड पर भी राजाओं का शासन रहा है क्योंकि यहाँ पर प्रचीन काल के अबशेष मिले है जिनके आधार पर यह कहा जा सकता है की उत्तराखंड भी राजाओं के आकर्षण का केंद्र रहा है। यहाँ पर अशोक राजा का शिलालेख देहरादून कालसी में मिला है इसके आलावा यहाँ गुप्त शासको के शासन के भी प्रमाण मिले है।
आधुनिक इतिहास के अंतर्गत सन 1790 में गोरखाओं ने अपना शासन अल्मोड़ा को जीतकर शुरू किया और धीरे धीरे पुरे कुमाऊ में अपना अधिकार कर लिया था। इस समय गढ़वाल के राजा हर्षदेव थे। गोरखाओ ने गढ़वाल पर भी अपना राज करने की सोची लेकिन गढ़वाल राजा हर्षदेव के द्वारा गोरखाओं के साथ की गई संधि से गोरखा शासक वापस चले गए।
1803- 04 को गोरखाओं ने वापस गढ़वाल पर आक्रमण किया उस समय गढ़वाल के राजा प्र्त्युमन शाह थे। 1804 में गोरखाओं और प्र्त्युमन शाह के बिच हुए युद्ध में गढ़वाल नरेश वीरगति को प्राप्त हुए और गढ़वाल पर गोरखों का शासन हुआ।
उसी समय युवराज सुदर्शन शाह को हरिद्वार भेज दिया गया था जहाँ वे गढ़वाल से गोरखों को हटाने की योजना बना रहे थे और उन्होंने इसके लिए अंग्रेजो से सहायता मांगी, और इसके बदले उन्हें युद्ध में व्यय होने वाली राशी देने का वादा किया।
1814 को अग्रेज सेना को गढ़वाल नरेश सुदर्शन शाह की मदद के लिए भेजा गया जिसके चलते गोरखों की पराजय हुई और गढ़वाल से गोरखों का शासन समाप्त हुआ। युद्ध में व्यय राशि को ना देने के कारण गढ़वाल नरेश को अपना आधा राज्य अंग्रेजो को सौपना पड़ा।
इसके बाद 1815 तक अंग्रेजो ने गोरखों को युद्ध में हराकर कुमाऊ में भी अपना अधिकार कर लिया और केवल टिहरी रियासत को छोड़कर पूरा उत्तराखंड पर अंग्रेजो का अधिकार हो गया।
स्वतंत्रता के बाद 1987 को भाजपा लाल कृष्ण अडवानी जी की अध्यक्षता में उत्तरप्रदेश से पहाड़ी राज्यों को अलग कर एक नया राज्य बनाने की मांग को स्वीकृति मिली जिसका नाम उत्तराचंल हो।
इसके बाद 1991 को यह प्रस्ताव केद्र सरकार के पास गया, 1993 में मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव ने रामशंकर कौशिक की अध्यक्षता में उत्तराचंल की सरंचना और राजधानी पर विचार के लिए कैबिनेट सिमिति का गठन किया गया।
1994 में पहाड़ी जिलों को मिलाकर और इनकी राजधानी गैरसैण के निर्देश दिए। जिस कारण 9 नवम्बर 2000 को उत्तरप्रदेश से अलग होकर उत्तराचंल की स्थापना हुई। ( Uttarakhand History in Hindi )
उत्तराखंड से जुड़े कुछ धार्मिक तथ्य
- पौड़ी गढ़वाल में स्थित सितोनस्यूं नामक जगह पर सीता माता धरती में समाई थी।
- रुद्रप्रयाग में स्थित त्रियुगीनारायण में शिव पार्वती का विवाह हुआ था।
- पौड़ी गढ़वाल के श्रीनगर में स्थित कमलेश्वर महादेव मंदिर में ही भगवन शिव ने भगवान विष्णु को सुदर्शन चक्र दिया था।
- चमोली में स्थित बद्रीनाथ के नजदीक व्यास गुफा है और कहा जाता है की इस गुफा में ही महर्षि वेद व्यास जी ने गणेश जी की सहायता से महाकाव्य महाभारत को लिखा था।
- चमोली जिले के निति गाँव में स्थित द्रोणागिरी पर्वत का ही एक हिस्सा हनुमान जी लक्षमण के मुर्छित होने पर संजीवनी बूटी के लिए लेकर गए थे।
- पौड़ी गढ़वाल के नीलकंठ महादेव में भगवान् शिव ने असुर और देवताओं के बिच हुए समुद्र मंथन के दौरान निकलने वाले विष को पिया था।
- असुर और देवताओं के बिच हुए समुद्र मंथन के दौरान जब अमृत निकला था तो इसके लिए असुरों और देवताओं के बिच युद्ध छिड गया था और इसी बिच धरती पर अमृत की बुँदे गिरती है और जिन चार जगहों पर अमृत की बूदें गिरती है उनके से एक हरिद्वार है जो उत्तराखंड में स्थित जहाँ प्रत्येक 12 वर्ष में कुम्भ मेले का आयोजन किया था है।
उत्तराखंड की जानकारी – Information Of Uttarakhand
information about uttarakhand in hindi – उत्तराखंड भारत का 27 वें नम्बर का राज्य है जिसका गठन 9 नवम्बर 2000 को हुआ था उत्तराखंड की राजधानी देहरादून है। इससे पहले उत्तराखंड उत्तरप्रदेश का हिस्सा था। इस समय उत्तराखंड को उत्तराँचल के नाम से जाना जाता था।
राज्य स्थापना के बाद 1 जनवरी 2007 को इसका नाम उत्तराचंल से उत्तराखंड कर दिया गया।उत्तराखंड दो शब्दों के मेल उत्तर+ खंड से बना शब्द है जिसमे उत्तर नाम उत्तर दिशा और खंड का मतलब है भाग, जिसका पूरा मतलब है “उत्तर दिशा की ओर का भाग” उत्तराखंड हिमालयी पहाड़ियों में स्थित भारत का सुन्दर राज्य है।
जनसंख्या की बात की जाये तो यहाँ की जनसंख्या 1,00,86,292 (2012 की जनगणना के अनुसार ) है। उत्तराखंड में गढ़वाली और कुमाउनी भाषा बोली जाती है, इस राज्य में हर प्रकार के खेती की जाती है लेकिन उनमे मुख्यतः चावल और गेहूं की फ़सल अधिक मात्रा में बोई जाती है
इसके आलावा चाय उत्पादन के लिए नैनीताल, लिंची उत्पादन के लिए देहरादून, चावल उत्पादन के लिए उधमसिंह नगर और ऐंसे ही बहुत सी जगह कृषि के लिए प्रमुख है।
5 मार्च 2021 से गैरसैण को उत्तराखंड की ग्रीष्मकालीन राजधानी घोषित किया गया। गैरसैण को राजधानी बनाने के लिए बहुत समय से लोगो के द्वारा आन्दोलन भी किये जा रहे थे, क्योंकि उत्तराखंड एक पहाड़ी राज्य है लेकिन उसकी राजधानी देहरादून में थी जो की एक मैदानी इलाका था, और पहाड़ी राज्य की राजधानी पहाड़ों में हो इसके लिए आन्दोलन चल रहा था जिससे की पहाड़ों पर भी विकास हो सके।
उत्तराखंड राज्य की सीमा पूर्व से नेपाल, उत्तर से चीन, पशिचम में हिमांचल प्रदेश, और दक्षिण में उत्तरप्रदेश से लगी है।
उत्तराखंड को 13 जिलों में विभाजित किया गया है और इन 13 जिलों को तीन मंडल गढ़वाल मंडल, कुमाऊ मंडल और गैरसैण मंडल में बांटा गया है जो इस तरह से है-
गढ़वाल मंडल के अंतर्गत 5 जिलों को रखा गया है जिनके नाम यह है-
- पौड़ी गढ़वाल (Pauri Garhwal)
- उत्तरकाशी (Uttarakashi)
- देहरादून (Dehradun)
- हरिद्वार (Haridwar)
- टिहरी गढ़वाल (Tehri Garhwal)
गैरसैण मंडल में 4 जिलों को रखा गया है –
- चमोली (Chamoli)
- रुद्रप्रयाग (Rudrpryag)
- अल्मोड़ा (Almora)
- बागेश्वर (Bageswar)
कुमाऊ मंडल के अंतर्गत 4 जिले आते है जिनके नाम यह है-
- पिथोरागढ़ (Pithoragarh)
- नैनीताल (Nanitaal)
- चम्पावत (Chmpawat)
- उधमसिंह नगर (Udhamsingh Nagar)
उत्तराखंड का स्थान भारत में
- राज्य का नंबर – 27 वाँ
- हिमालयी राज्यों के क्रम में उत्तराखंड का स्थान – 11 वाँ
- क्षेत्रफल के अनुसार भारत में स्थान – 18 वाँ
- जनसंख्या दृष्टि से भारत में स्थान – 20 वाँ
- दो राजधानी बनाने वाला – 5वां राज्य
उत्तराखंड के प्रमुख पर्यटन स्थल
उत्तराखंड में बहुत से प्रमुख स्थल है जिन्होंने देश ही नहीं बल्कि विदेश से भी आने वाले यात्रिओं को अपनी ओर आकर्षित किया है जिनमे से कुछ प्रमुख स्थल ऋषिकेश, हरिद्वार, मसूरी (टिहरी में स्थित, देहरादून के समीप), कौशानी, नैनीताल, टिहरी, देवप्रयाग, केदारनाथ (रुद्रप्रयाग जिले में स्थित), बद्रीनाथ (चमोली में स्थित), गंगोत्री (उत्तरकाशी), यमुनोत्री (उत्तरकाशी), नंदा देवी आदि उत्तरखंड में प्रमुख पर्यटन स्थल है।
उत्तराखंड के प्रमुख संस्थान –
- लोक सेवा आयोग – हरिद्वार
- उत्तराखंड प्रसासनिक परिशिक्षण अकादमी – नैनीताल
- लाल बहादुर शास्त्री परिशिक्षण अकादमी – मसूरी
- सेंट्रल बिल्डिंग रिसर्च इंस्टिट्यूट – रुड़की
- वाडिया इंस्टिट्यूट ऑफ़ हिमालयन जिओलोजी – देहरादून
- इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ़ रिमोट सेंसींग – देहरादून
- नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ़ टेक्नोलॉजी – श्रीनगर गढ़वाल
- भारतीय सुदूर सवेदन संस्थान – देहरादून
- वन अनुसन्धान संस्थान – देहरादून
उत्तराखंड के प्रमुख विश्वविद्यालय –
- हेमवती नंदन बहुगुणा गढ़वाल यूनिवर्सिटी – श्रीनगर गढ़वाल
- गोविन्द बल्लभ पन्त कृषि एवं प्रद्योगिक विश्वविद्यालय – उधमसिंह नगर
- श्री देव सुमन यूनिवर्सिटी – टिहरी गढ़वाल
- कुमाउँ विश्वविद्यालय – नैनीताल
- दून विश्वविद्यालय -देहरादून
- उत्तराखंड टेकनिकल युनिवर्सिटी – देहरादून
उत्तराखंड का खान-पान क्या है ?
- मंडुए की रोटी
- कफली
- गौहत की दाल
- आलू की थिचुनी
- चैंसू
उत्तराखंड के प्रमुख मेले
उत्तराखंड में मुख्य रूप से वैकुण्ड चतुर्दशी मेला (श्रीनगर गढ़वाल), गौचर मेला (चमोली), देवीधुरा मेला (चम्पावत), पूर्णागिरी मेला (चम्पावत), नंदा देवी मेला (अल्मोड़ा), नंदा देवी राजजात (प्रत्येक 12 वर्ष में) को बड़ी चहल पहल के साथ मनाया जाता है।
उत्तराखंड के प्रसिद्ध धार्मिक स्थल
उत्तराखंड में तुंगनाथ, रुद्रनाथ, आदिबद्री, कल्पेस्वर, धारी देवी, देवप्रयाग, त्रियुगीनारायण, सुरकंडा, मदमहेस्वर, ज्वाल्पा देवी, हेमकुंड साहिब, ऋषिकेश, हरिद्वार, कालीमठ, पूर्णागिरी मंदिर, पाताल भुवनेश्वर, गिरजा देवी मंदिर, नागनाथ मंदिर, द्रोणागिरी प्रमुख धार्मिक स्थल स्थित है।
उत्तराखंड के प्रसिद्ध धाम
- बद्रीनाथ
- केदारनाथ
- गंगोत्री
- यमुनोत्री
उत्तराखंड के प्रमुख ग्लेशियर
उत्तराखंड में मिलम (पिथोरागढ़), नामिक (पिथौरागढ़), पोंटिंग (पिथौरागढ़), केदारनाथ (रुद्रप्रयाग), दूनागिरी (चमोली), शातोपंथ (चमोली), सुन्दरडुंगी (बागेश्वर), कफनी (बागेश्वर), यमनोत्री (उत्तरकाशी), गंगोत्री (उत्तरकाशी), खतलिंग (टिहरी) प्रमुख ग्लेशियर स्थित है।
Uttarakhand History in Hindi
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